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सरकार सरकारको पोस्टर निर्देशक राम गोपाल वर्मा निर्माता राम गोपाल वर्मा पराग संघवी लेखक मनीष गुप्ता कलाकार अभिषेक बच्चन अमिताभ बच्चन कैटरीना कैफ़ के के मेनन तनीशा अनुपम खेर सुप्रिया पाठक संगीतकार अमर मोहिले वितरक एक्सेल एंटरटेन्मेन्ट प्रदर्शन 1 जुलाई, 2005 समयावधि 124 मिनट देश भारत भाषा हिन्दी लगानी भा.रु. ७ करोड़
सरकार सरकार का पोस्टर निर्देशक राम गोपाल वर्मा निर्माता राम गोपाल वर्मा पराग संघवी लेखक मनीष गुप्ता अभिनेता अभिषेक बच्चन अमिताभ बच्चन कैटरीना कैफ़ के के मेनन तनीशा अनुपम खेर सुप्रिया पाठक संगीतकार अमर मोहिले वितरक एक्सेल एंटरटेन्मेन्ट प्रदर्शन तिथि(याँ) 1 जुलाई, 2005 समय सीमा 124 मिनट देश भारत भाषा हिन्दी लागत रु ७ करोड़

सरकार सन् २००५ मी राम गोपाल वर्मा हताँ निर्देशित अरियाः यक चलचित्र हो।.
सरकार 2005 में राम गोपाल वर्मा द्वारा निर्देशित की गई एक चलचित्र थी।.

भारतीय महिला क्रिकेट टीम (अंग्रेज़ी: India women's national cricket team) जो विमन इन ब्लू का नाउँ ले लै जाणिन्छे, यक भारतीय राष्ट्रीय महिला क्रिकेट टोलि हो। जै को सञ्चालन बीसीसीआई अरन्छे।[7][8] भारतीय महिला क्रिकेट टीम लै पैल्लो टेस्ट क्रिकेट बाजि ३१ अक्टुबर १९७६ मैं बैंगलोर मैं वेस्टइंडीज महिला क्रिकेट टीम का विरुद्ध खेलिराइथ्यो जबकि पैल्लो यक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय १ जनवरी १९७८ मैं कलकत्ता मैं इङल्याण्ड महिला क्रिकेट टीम का विरुद्ध खेलिराइथ्यो रे पैल्लो ट्वान्टी-ट्वान्टी खेल ५ अगस्त २००६ मैं डर्बी मैं इङल्याण्डा' विरुद्ध खेलिराइथ्यो।[9]
भारतीय महिला क्रिकेट टीम (अंग्रेज़ी: India women's national cricket team) जो विमन इन ब्लू के नाम से भी जानी जाती है एक भारतीय राष्ट्रीय महिला क्रिकेट टीम है। जिसका संचालन बीसीसीआई करती है।[7][8] भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने पहला टेस्ट क्रिकेट मैच ३१ अक्तूबर १९७६ को बैंगलोर में वेस्टइंडीज महिला क्रिकेट टीम के खिलाफ खेला था जबकि पहला एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय १ जनवरी १९७८ को कलकत्ता में इंग्लैंड महिला क्रिकेट टीम के खिलाफ खेला था और पहला ट्वेन्टी-ट्वेन्टी मैच ५ अगस्त २००६ को डर्बी में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था।[9]

Cricket Archive. http://cricketarchive.co.uk/Archive/Seasons/ENG/1911_ENG_India_in_England_1911.html. अन्तिम पहुँच मिति: 7 December 2009. ↑ "Cricket and Politics in Colonial India".
Cricket Archive. http://cricketarchive.co.uk/Archive/Seasons/ENG/1911_ENG_India_in_England_1911.html. अभिगमन तिथि: 7 December 2009. ↑ "Cricket and Politics in Colonial India".

विभिन्न आठ क्षेत्रअन बठे वैश्विक एन्थ्रोपोजेनिक हरितगृह ग्याँस उत्सर्जन, वर्ष २००० मी
वैश्विक एन्थ्रोपोजेनिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन आठ विभिन्न क्षेत्रों से, वर्ष २००० में

सन्दर्भअन
सन्दर्भ

हरितगृह ग्याँस ग्रह का वातावरण या जलवायु मी परिवर्तन रे अंततः भूमणडलीय ऊष्मीकरण कि न्युति उत्तरदायी हनान।[1][2] प्राथमिक हरितगृह ग्याँस कार्बनडाइअक्साइड, नाइट्रस अक्साइड, मिथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, बाफ, ओजोन हन।[2] यदि हरितगृह ग्याँस नहुन्याहन भँण्या पिर्थिबि का सतह को औषत तापक्रम -१८ डिग्रि सेल्सियस हुनेइ थ्यो; जो अच्याल १५ डिग्रि सेल्सियस छ। शुक्र, मङ्गल रे टाइटन ग्रह का वायुमण्डल मी लगै हरितगृह ग्याँस पायीनान। औद्योगिक क्रान्ति (सन् १७५० तिर) पछा का मानवीय कृयाकलापअन ले पिर्थिबि का वायुमण्डल मी कार्बनडाइअक्साइड का सान्द्रता मी सन् २०१९ सम्म का तथ्याङ्क अनसार ४५% ले बड़िरैछ। कार्बनडाइअक्साइड का उत्सर्जन का सब है ठुला स्रोत कोइला, तेल, प्राकृतिक ग्याँस जसा पेट्रोलियम इन्धन को उपयोग रयाः छ।[1][2]
ग्रीन हाउस गैसें ग्रह के वातावरण या जलवायु में परिवर्तन और अंततः भूमंडलीय ऊष्मीकरण के लिए उत्तरदायी होती हैं।[1][2] इनमें सबसे ज्यादा उत्सर्जन कार्बन डाई आक्साइड, नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, वाष्प, ओजोन आदि करती हैं।[2] कार्बन डाई आक्साइड का उत्सर्जन पिछले १०-१५ सालों में ४० गुणा बढ़ गया है। दूसरे शब्दों में औद्यौगिकीकरण के बाद से इसमें १०० गुणा की बढ़ोत्तरी हुई है। इन गैसों का उत्सर्जन आम प्रयोग के उपकरणों वातानुकूलक, फ्रिज, कंप्यूटर, स्कूटर, कार आदि से होता है। कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत पेट्रोलियम ईंधन और परंपरागत चूल्हे हैं।[1][2]

ठण्ण ठउर बोटबट्यौला लौनाइ बनायियाः हरितगृह
ठंडे स्थान पर पौधे उगाने के लिये बने ग्रीनहाउस

हरितगृह प्रभाव यक प्राकृतिक प्रक्रिया हो जै का लाग्दा कसै ग्रह या उपग्रह का वातावरण मी रयाः केइ ग्याँस वातावरण का तापमान लाइ अपेक्षाकृत अधिक बनौनाइ मदद अद्दाहान। इन हरितगृह ग्याँसअन मी कार्बन डाइअक्साइड, पानी को बाफ, मिथेन आदि शामिल छन। यदि हरितगृह प्रभाव नहुनो हो त शायदइ पृथ्वी मी जीवन हनेइथ्यो, क्याइकि तब पृथ्वी को औषत तापमान -१८° सेल्सियस हुनेइथ्यो जो कि वर्तमान मी १५° सेल्सियस छ।
ग्रीनहाउस प्रभाव या हरितगृह प्रभाव (greenhouse effect) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी ग्रह या उपग्रह के वातावरण में मौजूद कुछ गैसें वातावरण के तापमान को अपेक्षाकृत अधिक बनाने में मदद करतीं हैं। इन ग्रीनहाउस गैसों में कार्बन डाई आक्साइड, जल-वाष्प, मिथेन आदि शामिल हैं। यदि ग्रीनहाउस प्रभाव नहीं होता तो शायद ही पृथ्वी पर जीवन होता, क्योंकि तब पृथ्वी का औसत तापमान -18° सेल्सियस होता न कि वर्तमान 15° सेल्सियस।

हरितगृह प्रभावका अस्तित्वका बारेमी सन् १८२४ मी जोसेफ फुरियर ले बतायाः थ्यो। उनले दियाः तर्क र साक्ष्य लाइ सन् १८२७ रे सन् १८३८ मी क्लाउड पाउलेट ले आँजि मजबूत बनाइदियो।[1] येइ विषयम मी प्रयोग रे अवलोकन अर्या पछा येइ का कारणका बारेमी जोन टिण्डल ले सन् १८५९ मी बतायाः थ्यो। पुइ लै सबहै पैली येइकि स्पष्ट आङ्किक जानकारी स्वाण्टे आर्रेनियसले सन् १८९६ मी दीयाः थ्यो। उनले पैल्लीकिबेर मात्रात्मक पूर्वानुमान लाइबर यो बतायाः थ्यो कि वायुमण्डलमी कार्बन डाइअक्साइड ग्याँसले यो हन्छ। पुइ लै कसै लै वैग्यानिकले हरितगृह आँखरको प्रयोग अरि राखेइनथ्यो। येइ आँखरको प्रयोग सब है पैल्ली निल्स गुस्टफ एकहोम ले सन् १९०१ मी अर्याः थ्यो।[2][3]
ग्रीनहाउस प्रभाव के अस्तित्व के बारे में वर्ष 1824 में जोसेफ फुरियर ने बताया था। उनके द्वारा दिये गए तर्क और साक्ष्यों को वर्ष 1827 और 1838 में क्लाउड पाउलेट ने और मजबूत कर दिया।[1] इस पर प्रयोग और अवलोकन करने के बाद इसका कारण जॉन टिंडल ने 1859 में बताया था। लेकिन सबसे पहले इसकी स्पष्ट आंकिक जानकारी स्वांटे आर्रेनियस ने 1896 में दी थी। उन्होंने पहली बार मात्रात्मक पूर्वानुमान लगा कर यह बताया था कि वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस के दोहरीकरण से होता है। लेकिन किसी भी वैज्ञानिक ने ग्रीनहाउस शब्द का प्रयोग नहीं किया था। इसका प्रयोग सबसे पहले निल्स गुस्टफ एकहोम ने 1901 में किया था।[2][3]

हरितगृह प्रभाव मी वृद्धि
ग्रीन हाउस प्रभाव में वृद्धि

वायुमण्डल मी हरितगृह प्रभाव को चित्रण
वायुमण्डल में ग्रीनहाउस प्रभाव का चित्रण

सङताइ विश्व का औषत तापमान मी लगातार वृद्धि धेकीरैछ। इसो हना मी मानवजनित कृयाकलाप ले उत्पादित अतिरिक्त हरितगृह ग्याँस को भूमिका रयाः छ। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि यदि वृक्षों का बचाना है तो इन गैसों पर नियंत्रण करना होगा क्योंकि सूरज तीव्र रौशनी और वातावरण में ऑक्सीजन की कमी से पहले ही वृक्षों के बने रहने की सम्भावनाएँ कम होंगी।
पूरे विश्व के औसत तापमान में लगातार वृद्धि दर्ज की गयी है। ऐसा माना जा रहा है कि मानव द्वारा उत्पादित अतिरिक्त ग्रीनहाउस गैसों के कारण ऐसा हो रहा है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि यदि वृक्षों का बचाना है तो इन गैसों पर नियंत्रण करना होगा क्योंकि सूरज तीव्र रौशनी और वातावरण में ऑक्सीजन की कमी से पहले ही वृक्षों के बने रहने की सम्भावनाएँ कम होंगी।

यिन लै हेरः
इन्हें भी देखें

हरितगृह ग्याँस
ग्रीनहाउस गैस