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(src)="b.GEN.1.1.1"> आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की ।
(trg)="b.GEN.1.1.1"> در ابتدا ، خدا آسمانها و زمین را آفرید .

(src)="b.GEN.1.2.1"> और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी ; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था : तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था ।
(trg)="b.GEN.1.2.1"> وزمین تهی و بایر بود و تاریکی بر روی لجه . و روح خدا سطح آبها را فرو گرفت .

(src)="b.GEN.1.3.1"> तब परमेश्वर ने कहा , उजियाला हो : तो उजियाला हो गया ।
(trg)="b.GEN.1.3.1"> و خدا گفت : « روشنایی بشود . » و روشنایی شد .

(src)="b.GEN.1.4.1"> और परमेश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है ; और परमेश्वर ने उजियाले को अन्धियारे से अलग किया ।
(trg)="b.GEN.1.4.1"> و خدا روشنایی را دید که نیکوست و خداروشنایی را از تاریکی جدا ساخت .

(src)="b.GEN.1.5.1"> और परमेश्वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा । तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ । इस प्रकार पहिला दिन हो गया । ।
(trg)="b.GEN.1.5.1"> و خداروشنایی را روز نامید و تاریکی را شب نامید . وشام بود و صبح بود ، روزی اول .

(src)="b.GEN.1.6.1"> फिर परमेश्वर ने कहा , जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए ।
(trg)="b.GEN.1.6.1"> و خدا گفت : « فلکی باشد در میان آبها و آبهارا از آبها جدا کند . »

(src)="b.GEN.1.7.1"> तब परमेश्वर ने एक अन्तर करके उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया ; और वैसा ही हो गया ।
(trg)="b.GEN.1.7.1"> و خدا فلک را بساخت وآبهای زیر فلک را از آبهای بالای فلک جدا کرد . و چنین شد .

(src)="b.GEN.1.8.1"> और परमेश्वर ने उस अन्तर को आकाश कहा । तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ । इस प्रकार दूसरा दिन हो गया । ।
(trg)="b.GEN.1.8.1"> و خدا فلک را آسمان نامید . و شام بود و صبح بود ، روزی دوم .

(src)="b.GEN.1.9.1"> फिर परमेश्वर ने कहा , आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे ; और वैसा ही हो गया ।
(trg)="b.GEN.1.9.1"> و خدا گفت : « آبهای زیر آسمان در یکجاجمع شود و خشکی ظاهر گردد . » و چنین شد .

(src)="b.GEN.1.10.1"> और परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा ; तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उस ने समुद्र कहा : और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है ।
(trg)="b.GEN.1.10.1"> و خدا خشکی را زمین نامید و اجتماع آبها رادریا نامید . و خدا دید که نیکوست .

(src)="b.GEN.1.11.1"> फिर परमेश्वर ने कहा , पृथ्वी से हरी घास , तथा बीजवाले छोटे छोटे पेड़ , और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्ही में एक एक की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगें ; और वैसा ही हो गया ।
(trg)="b.GEN.1.11.1"> و خداگفت : « زمین نباتات برویاند ، علفی که تخم بیاوردو درخت میوه ‌ ای که موافق جنس خود میوه آوردکه تخمش در آن باشد ، بر روی زمین . » و چنین شد .

(src)="b.GEN.1.12.1"> तो पृथ्वी से हरी घास , और छोटे छोटे पेड़ जिन में अपनी अपनी जाति के अनुसार बीज होता है , और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक एक की जाति के अनुसार उन्ही में होते हैं उगे ; और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है ।
(trg)="b.GEN.1.12.1"> و زمین نباتات را رویانید ، علفی که موافق جنس خود تخم آورد و درخت میوه داری که تخمش در آن ، موافق جنس خود باشد . و خدادید که نیکوست .

(src)="b.GEN.1.13.1"> तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ । इस प्रकार तीसरा दिन हो गया । ।
(trg)="b.GEN.1.13.1"> و شام بود و صبح بود ، روزی سوم .

(src)="b.GEN.1.14.1"> फिर परमेश्वर ने कहा , दिन को रात से अलग करने के लिये आकाश के अन्तर में ज्योतियां हों ; और वे चिन्हों , और नियत समयों , और दिनों , और वर्षों के कारण हों ।
(trg)="b.GEN.1.14.1"> و خدا گفت : « نیرها در فلک آسمان باشند تاروز را از شب جدا کنند و برای آیات و زمانها وروزها و سالها باشند .

(src)="b.GEN.1.15.1"> और वे ज्योतियां आकाश के अन्तर में पृथ्वी पर प्रकाश देनेवाली भी ठहरें ; और वैसा ही हो गया ।
(trg)="b.GEN.1.15.1"> و نیرها در فلک آسمان باشند تا بر زمین روشنایی دهند . » و چنین شد .

(src)="b.GEN.1.16.1"> तब परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियां बनाईं ; उन में से बड़ी ज्योति को दिन पर प्रभुता करने के लिये , और छोटी ज्योति को रात पर प्रभुता करने के लिये बनाया : और तारागण को भी बनाया ।
(trg)="b.GEN.1.16.1"> و خدا دو نیر بزرگ ساخت ، نیر اعظم را برای سلطنت روز و نیر اصغر را برای سلطنت شب ، وستارگان را .

(src)="b.GEN.1.17.1"> परमेश्वर ने उनको आकाश के अन्तर में इसलिये रखा कि वे पृथ्वी पर प्रकाश दें ,
(trg)="b.GEN.1.17.1"> و خدا آنها را در فلک آسمان گذاشت تا بر زمین روشنایی دهند ،

(src)="b.GEN.1.18.1"> तथा दिन और रात पर प्रभुता करें और उजियाले को अन्धियारे से अलग करें : और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है ।
(trg)="b.GEN.1.18.1"> و تاسلطنت نمایند بر روز و بر شب ، و روشنایی را ازتاریکی جدا کنند . و خدا دید که نیکوست .

(src)="b.GEN.1.19.1"> तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ । इस प्रकार चौथा दिन हो गया । ।
(trg)="b.GEN.1.19.1"> وشام بود و صبح بود ، روزی چهارم .

(src)="b.GEN.1.20.1"> फिर परमेश्वर ने कहा , जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए , और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश कें अन्तर में उड़ें ।
(trg)="b.GEN.1.20.1"> و خدا گفت : « آبها به انبوه جانوران پر شودو پرندگان بالای زمین بر روی فلک آسمان پروازکنند . »

(src)="b.GEN.1.21.1"> ठसलिये परमेश्वर ने जाति जाति के बड़े बड़े जल- जन्तुओं की , और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते फिरते हैं जिन से जल बहुत ही भर गया और एक एक जाति के उड़नेवाले पक्षियों की भी सृष्टि की : और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है ।
(trg)="b.GEN.1.21.1"> پس خدا نهنگان بزرگ آفرید و همه جانداران خزنده را ، که آبها از آنها موافق اجناس آنها پر شد ، و همه پرندگان بالدار را به اجناس آنها . و خدا دید که نیکوست .

(src)="b.GEN.1.22.1"> और परमेश्वर ने यह कहके उनको आशीष दी , कि फूलो- फलो , और समुद्र के जल में भर जाओ , और पक्षी पृथ्वी पर बढ़ें ।
(trg)="b.GEN.1.22.1"> و خدا آنها رابرکت داده ، گفت : « بارور و کثیر شوید و آبهای دریا را پر سازید ، و پرندگان در زمین کثیر بشوند . »

(src)="b.GEN.1.23.1"> तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ । इस प्रकार पांचवां दिन हो गया ।
(trg)="b.GEN.1.23.1"> و شام بود و صبح بود ، روزی پنجم .

(src)="b.GEN.1.24.1"> फिर परमेश्वर ने कहा , पृथ्वी से एक एक जाति के जीवित प्राणी , अर्थात् घरेलू पशु , और रेंगनेवाले जन्तु , और पृथ्वी के वनपशु , जाति जाति के अनुसार उत्पन्न हों ; और वैसा ही हो गया ।
(trg)="b.GEN.1.24.1"> و خدا گفت : « زمین ، جانوران را موافق اجناس آنها بیرون آورد ، بهایم و حشرات وحیوانات زمین به اجناس آنها . » و چنین شد .

(src)="b.GEN.1.25.1"> सो परमेश्वर ने पृथ्वी के जाति जाति के वनपशुओं को , और जाति जाति के घरेलू पशुओं को , और जाति जाति के भूमि पर सब रेंगनेवाले जन्तुओं को बनाया : और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है ।
(trg)="b.GEN.1.25.1"> پس خدا حیوانات زمین را به اجناس آنهابساخت و بهایم را به اجناس آنها و همه حشرات زمین را به اجناس آنها . و خدا دید که نیکوست .

(src)="b.GEN.1.26.1"> फिर परमेश्वर ने कहा , हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं ; और वे समुद्र की मछलियों , और आकाश के पक्षियों , और घरेलू पशुओं , और सारी पृथ्वी पर , और सब रेंगनेवाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं , अधिकार रखें ।
(trg)="b.GEN.1.26.1"> و خدا گفت : « آدم را بصورت ما و موافق شبیه ما بسازیم تا بر ماهیان دریا و پرندگان آسمان وبهایم و بر تمامی زمین و همه حشراتی که بر زمین می ‌ خزند ، حکومت نماید . »

(src)="b.GEN.1.27.1"> तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया , अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया , नर और नारी करके उस ने मनुष्यों की सृष्टि की ।
(trg)="b.GEN.1.27.1"> پس خدا آدم را بصورت خود آفرید . او رابصورت خدا آفرید . ایشان را نر و ماده آفرید .

(src)="b.GEN.1.28.1"> और परमेश्वर ने उनको आशीष दी : और उन से कहा , फूलो- फलो , और पृथ्वी में भर जाओ , और उसको अपने वश में कर लो ; और समुद्र की मछलियों , तथा आकाश के पक्षियों , और पृथ्वी पर रेंगनेवाले सब जन्तुओ पर अधिकार रखो ।
(trg)="b.GEN.1.28.1"> و خدا ایشان را برکت داد و خدا بدیشان گفت : « بارور و کثیر شوید و زمین را پر سازید و در آن تسلط نمایید ، و بر ماهیان دریا و پرندگان آسمان وهمه حیواناتی که بر زمین می ‌ خزند ، حکومت کنید . »

(src)="b.GEN.1.29.1"> फिर परमेश्वर ने उन से कहा , सुनो , जितने बीजवाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीजवाले फल होते हैं , वे सब मैं ने तुम को दिए हैं ; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं :
(trg)="b.GEN.1.29.1"> و خدا گفت : « همانا همه علف های تخم داری که بر روی تمام زمین است و همه درختهایی که در آنها میوه درخت تخم دار است ، به شما دادم تا برای شما خوراک باشد .

(src)="b.GEN.1.30.1"> और जितने पृथ्वी के पशु , और आकाश के पक्षी , और पृथ्वी पर रेंगनेवाले जन्तु हैं , जिन में जीवन के प्राण हैं , उन सब के खाने के लिये मैं ने सब हरे हरे छोटे पेड़ दिए हैं ; और वैसा ही हो गया ।
(trg)="b.GEN.1.30.1"> و به همه حیوانات زمین و به همه پرندگان آسمان وبه همه حشرات زمین که در آنها حیات ‌ است ، هر علف سبز را برای خوراک دادم . » و چنین شد.و خدا هر ‌ چه ساخته بود ، دید و همانابسیار نیکو بود . و شام بود و صبح بود ، روزششم .

(src)="b.GEN.1.31.1"> तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था , सब को देखा , तो क्या देखा , कि वह बहुत ही अच्छा है । तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ । इस प्रकार छठवां दिन हो गया । ।
(trg)="b.GEN.1.31.1"> و خدا هر ‌ چه ساخته بود ، دید و همانابسیار نیکو بود . و شام بود و صبح بود ، روزششم .

(src)="b.GEN.2.1.1"> यों आकाश और पृथ्वी और उनकी सारी सेना का बनाना समाप्त हो गया ।
(trg)="b.GEN.2.1.1"> و آسمانها و زمین و همه لشکر آنها تمام شد .

(src)="b.GEN.2.2.1"> और परमेश्वर ने अपना काम जिसे वह करता था सातवें दिन समाप्त किया । और उस ने अपने किए हुए सारे काम से सातवें दिन विश्राम किया ।
(trg)="b.GEN.2.2.1"> و در روز هفتم ، خدا از همه کار خود که ساخته بود ، فارغ شد . و در روز هفتم از همه کارخود که ساخته بود ، آرامی گرفت .

(src)="b.GEN.2.3.1"> और परमेश्वर ने सातवें दिन को आशीष दी और पवित्रा ठहराया ; क्योंकि उस में उस ने अपनी सृष्टि की रचना के सारे काम से विश्राम लिया ।
(trg)="b.GEN.2.3.1"> پس خدا روزهفتم را مبارک خواند و آن را تقدیس نمود ، زیراکه در آن آرام گرفت ، از همه کار خود که خداآفرید و ساخت .

(src)="b.GEN.2.4.1"> आकाश और पृथ्वी की उत्पत्ति का वृत्तान्त यह है कि जब वे उत्पन्न हुए अर्थात् जिस दिन यहोवा परमेश्वर ने पृथ्वी और आकाश को बनाया :
(trg)="b.GEN.2.4.1"> این است پیدایش آسمانها و زمین در حین آفرینش آنها در روزی که یهوه ، خدا ، زمین وآسمانها را بساخت .

(src)="b.GEN.2.5.1"> तब मैदान का कोई पौधा भूमि पर न था , और न मैदान का कोई छोटा पेड़ उगा था , क्योंकि यहोवा परमेश्वर ने पृथ्वी पर जल नहीं बरसाया था , और भूमि पर खेती करने के लिये मनुष्य भी नहीं था ;
(trg)="b.GEN.2.5.1"> و هیچ نهال صحرا هنوز درزمین نبود و هیچ علف صحرا هنوز نروییده بود ، زیرا خداوند خدا باران بر زمین نبارانیده بود وآدمی نبود که کار زمین را بکند .

(src)="b.GEN.2.6.1"> तौभी कुहरा पृथ्वी से उठता था जिस से सारी भूमि सिंच जाती थी
(trg)="b.GEN.2.6.1"> و مه از زمین برآمده ، تمام روی زمین را سیراب می ‌ کرد .

(src)="b.GEN.2.7.1"> और यहोवा परमेश्वर ने आदम को भूमि की मिट्टी से रचा और उसके नथनो में जीवन का श्वास फूंक दिया ; और आदम जीवता प्राणी बन गया ।
(trg)="b.GEN.2.7.1"> خداوند خدا پس آدم را از خاک زمین بسرشت و در بینی وی روح حیات دمید ، و آدم نفس زنده شد .

(src)="b.GEN.2.8.1"> और यहोवा परमेश्वर ने पूर्व की ओर अदन देश में एक बाटिका लगाई ; और वहां आदम को जिसे उस ने रचा था , रख दिया ।
(trg)="b.GEN.2.8.1"> و خداوند خدا باغی در عدن بطرف مشرق غرس نمود و آن آدم را که سرشته بود ، در آنجاگذاشت .

(src)="b.GEN.2.9.1"> और यहोवा परमेश्वर ने भूमि से सब भांति के वृक्ष , जो देखने में मनोहर और जिनके फल खाने में अच्छे हैं उगाए , और बाटिका के बीच में जीवन के वृक्ष को और भले या बुरे के ज्ञान के वृक्ष को भी लगाया ।
(trg)="b.GEN.2.9.1"> و خداوند خدا هر درخت خوشنما وخوش خوراک را از زمین رویانید ، و درخت حیات را در وسط باغ و درخت معرفت نیک و بدرا .

(src)="b.GEN.2.10.1"> और उस बाटिका को सींचने के लिये एक महानदी अदन से निकली और वहां से आगे बहकर चार धारा में हो गई ।
(trg)="b.GEN.2.10.1"> و نهری از عدن بیرون آمد تا باغ را سیراب کند ، و از آنجا منقسم گشته ، چهار شعبه شد .

(src)="b.GEN.2.11.1"> पहिली धारा का नाम पीशोन् है , यह वही है जो हवीला नाम के सारे देश को जहां सोना मिलता है घेरे हुए है ।
(trg)="b.GEN.2.11.1"> نام اول فیشون است که تمام زمین حویله را که در آنجا طلاست ، احاطه می ‌ کند .

(src)="b.GEN.2.12.1"> उस देश का सोना चोखा होता है , वहां मोती और सुलैमानी पत्थर भी मिलते हैं ।
(trg)="b.GEN.2.12.1"> و طلای آن زمین نیکوست و در آنجا مروارید و سنگ جزع است .

(src)="b.GEN.2.13.1"> और दूसरी नदी का नाम गीहोन् है , यह वही है जो कूश के सारे देश को घेरे हुए है ।
(trg)="b.GEN.2.13.1"> و نام نهر دوم جیحون که تمام زمین کوش را احاطه می ‌ کند .

(src)="b.GEN.2.14.1"> और तीसरी नदी का नाम हि : केल् है , यह वही है जो अश्शूर् के पूर्व की ओर बहती है । और चौथी नदी का नाम फरात है ।
(trg)="b.GEN.2.14.1"> و نام نهر سوم حدقل که بطرف شرقی آشور جاری است . و نهر ‌ چهارم فرات .

(src)="b.GEN.2.15.1"> जब यहोवा परमेश्वर ने आदम को लेकर अदन की बाटिका में रख दिया , कि वह उस में काम करे और उसकी रक्षा करे ,
(trg)="b.GEN.2.15.1"> پس خداوند خدا آدم را گرفت و او را درباغ عدن گذاشت تا کار آن را بکند و آن رامحافظت نماید .

(src)="b.GEN.2.16.1"> तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को यह आज्ञा दी , कि तू बाटिका के सब वृक्षों का फल बिना खटके खा सकता है :
(trg)="b.GEN.2.16.1"> و خداوند خدا آدم را امرفرموده ، گفت : « از همه درختان باغ بی ‌ ممانعت بخور ،

(src)="b.GEN.2.17.1"> पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है , उसका फल तू कभी न खाना : क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाए उसी दिन अवश्य मर जाएगा । ।
(trg)="b.GEN.2.17.1"> اما از درخت معرفت نیک و بد زنهارنخوری ، زیرا روزی که از آن خوردی ، هرآینه خواهی مرد . »

(src)="b.GEN.2.18.1"> फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा , आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं ; मै उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊंगा जो उस से मेल खाए ।
(trg)="b.GEN.2.18.1"> و خداوند خدا گفت : « خوب نیست که آدم تنها باشد . پس برایش معاونی موافق وی بسازم . »

(src)="b.GEN.2.19.1"> और यहोवा परमेश्वर भूमि में से सब जाति के बनैले पशुओं , और आकाश के सब भँाति के पक्षियों को रचकर आदम के पास ले आया कि देखे , कि वह उनका क्या क्या नाम रखता है ; और जिस जिस जीवित प्राणी का जो जो नाम आदम ने रखा वही उसका नाम हो गया ।
(trg)="b.GEN.2.19.1"> و خداوند خدا هر حیوان صحرا و هر پرنده آسمان را از زمین سرشت و نزدآدم آورد تا ببیند که چه نام خواهد نهاد و آنچه آدم هر ذی حیات را خواند ، همان نام او شد .

(src)="b.GEN.2.20.1"> सो आदम ने सब जाति के घरेलू पशुओं , और आकाश के पक्षियों , और सब जाति के बनैले पशुओं के नाम रखे ; परन्तु आदम के लिये कोई ऐसा सहायक न मिला जो उस से मेल खा सके ।
(trg)="b.GEN.2.20.1"> پس آدم همه بهایم و پرندگان آسمان و همه حیوانات صحرا را نام نهاد . لیکن برای آدم معاونی موافق وی یافت نشد .

(src)="b.GEN.2.21.1"> तब यहोवा परमेश्वर ने आदम को भारी नीन्द में डाल दिया , और जब वह सो गया तब उस ने उसकी एक पसुली निकालकर उसकी सन्ती मांस भर दिया ।
(trg)="b.GEN.2.21.1"> و خداوند خدا ، خوابی گران بر آدم مستولی گردانید تا بخفت ، و یکی از دنده هایش راگرفت و گوشت در جایش پر کرد .

(src)="b.GEN.2.22.1"> और यहोवा परमेश्वर ने उस पसुली को जो उस ने आदम में से निकाली थी , स्त्री बना दिया ; और उसको आदम के पास ले आया ।
(trg)="b.GEN.2.22.1"> و خداوندخدا آن دنده را که از آدم گرفته بود ، زنی بنا کرد ووی را به نزد آدم آورد .

(src)="b.GEN.2.23.1"> और आदम ने कहा अब यह मेरी हडि्डयों में की हड्डी और मेरे मांस में का मांस है : सो इसका नाम नारी होगा , क्योंकि यह नर में से निकाली गई है ।
(trg)="b.GEN.2.23.1"> و آدم گفت : « همانااینست استخوانی از استخوانهایم و گوشتی ازگوشتم ، از این سبب " نسا " نامیده شود زیرا که ازانسان گرفته شد . »

(src)="b.GEN.2.24.1"> इस कारण पुरूष अपने माता पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा और वे एक तन बनें रहेंगे ।
(trg)="b.GEN.2.24.1"> از این سبب مرد پدر و مادرخود را ترک کرده ، با زن خویش خواهد پیوست ویک تن خواهند بود.و آدم و زنش هر دو برهنه بودند و خجلت نداشتند .

(src)="b.GEN.2.25.1"> और आदम और उसकी पत्नी दोनों नंगे थे , पर लजाते न थे । ।
(trg)="b.GEN.2.25.1"> و آدم و زنش هر دو برهنه بودند و خجلت نداشتند .

(src)="b.GEN.3.1.1"> यहोवा परमेश्वर ने जितने बनैले पशु बनाए थे , उन सब में सर्प धूर्त था , और उस ने स्त्री से कहा , क्या सच है , कि परमेश्वर ने कहा , कि तुम इस बाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना ?
(trg)="b.GEN.3.1.1"> و مار از همه حیوانات صحرا که خداوندخدا ساخته بود ، هشیارتر بود . و به زن گفت : « آیا خدا حقیقت گفته است که از همه درختان باغ نخورید ؟ »

(src)="b.GEN.3.2.1"> स्त्री ने सर्प से कहा , इस बाटिका के वृक्षों के फल हम खा सकते हैं ।
(trg)="b.GEN.3.2.1"> زن به مار گفت : « از میوه درختان باغ می ‌ خوریم ،

(src)="b.GEN.3.3.1"> पर जो वृक्ष बाटिका के बीच में है , उसके फल के विषय में परमेश्वर ने कहा है कि न तो तुम उसको खाना और न उसको छूना , नहीं तो मर जाओगे ।
(trg)="b.GEN.3.3.1"> لکن از میوه درختی که در وسط باغ است ، خدا گفت از آن مخورید و آن را لمس مکنید ، مبادا بمیرید . »

(src)="b.GEN.3.4.1"> तब सर्प ने स्त्री से कहा , तुम निश्चय न मरोगे ,
(trg)="b.GEN.3.4.1"> مار به زن گفت : « هر آینه نخواهید مرد ،

(src)="b.GEN.3.5.1"> वरन परमेश्वर आप जानता है , कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आंखे खुल जाएंगी , और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे ।
(trg)="b.GEN.3.5.1"> بلکه خدا می ‌ داند درروزی که از آن بخورید ، چشمان شما باز شود ومانند خدا عارف نیک و بد خواهید بود . »

(src)="b.GEN.3.6.1"> सो जब स्त्री ने देखा कि उस वृक्ष का फल खाने में अच्छा , और देखने में मनभाऊ , और बुद्धि देने के लिये चाहने योग्य भी है , तब उस ने उस में से तोड़कर खाया ; और अपने पति को भी दिया , और उस ने भी खाया ।
(trg)="b.GEN.3.6.1"> و چون زن دید که آن درخت برای خوراک نیکوست وبنظر خوشنما و درختی دلپذیر دانش افزا ، پس ازمیوه ‌ اش گرفته ، بخورد و به شوهر خود نیز داد و اوخورد .

(src)="b.GEN.3.7.1"> तब उन दोनों की आंखे खुल गई , और उनको मालूम हुआ कि वे नंगे है ; सो उन्हों ने अंजीर के पत्ते जोड़ जोड़ कर लंगोट बना लिये ।
(trg)="b.GEN.3.7.1"> آنگاه چشمان هر دو ایشان باز شد وفهمیدند که عریانند . پس برگهای انجیر به هم دوخته ، سترها برای خویشتن ساختند .

(src)="b.GEN.3.8.1"> तब यहोवा परमेश्वर जो दिन के ठंडे समय बाटिका में फिरता था उसका शब्द उनको सुनाई दिया । तब आदम और उसकी पत्नी बाटिका के वृक्षों के बीच यहोवा परमेश्वर से छिप गए ।
(trg)="b.GEN.3.8.1"> و آواز خداوند خدا را شنیدند که در هنگام وزیدن نسیم نهار در باغ می ‌ خرامید ، و آدم و زنش خویشتن را از حضور خداوند خدا در میان درختان باغ پنهان کردند .

(src)="b.GEN.3.9.1"> तब यहोवा परमेश्वर ने पुकारकर आदम से पूछा , तू कहां है ?
(trg)="b.GEN.3.9.1"> و خداوند خدا آدم راندا در ‌ داد و گفت : « کجا هستی ؟ »

(src)="b.GEN.3.10.1"> उस ने कहा , मैं तेरा शब्द बारी में सुनकर डर गया क्योंकि मैं नंगा था ; इसलिये छिप गया ।
(trg)="b.GEN.3.10.1"> گفت : « چون آوازت را در باغ شنیدم ، ترسان گشتم ، زیرا که عریانم . پس خود را پنهان کردم . »

(src)="b.GEN.3.11.1"> उस ने कहा , किस ने तुझे चिताया कि तू नंगा है ? जिस वृक्ष का फल खाने को मै ने तुझे बर्जा था , क्या तू ने उसका फल खाया है ?
(trg)="b.GEN.3.11.1"> گفت : « که تورا آگاهانید که عریانی ؟ آیا از آن درختی که تو راقدغن کردم که از آن نخوری ، خوردی ؟ »

(src)="b.GEN.3.12.1"> आदम ने कहा जिस स्त्री को तू ने मेरे संग रहने को दिया है उसी ने उस वृक्ष का फल मुझे दिया , और मै ने खाया ।
(trg)="b.GEN.3.12.1"> آدم گفت : « این زنی که قرین من ساختی ، وی از میوه درخت به من داد که خوردم . »

(src)="b.GEN.3.13.1"> तब यहोवा परमेश्वर ने स्त्री से कहा , तू ने यह क्या किया है ? स्त्री ने कहा , सर्प ने मुझे बहका दिया तब मै ने खाया ।
(trg)="b.GEN.3.13.1"> پس خداوندخدا به زن گفت : « این چه ‌ کار است که کردی ؟ » زن گفت : « مار مرا اغوا نمود که خوردم . »

(src)="b.GEN.3.14.1"> तब यहोवा परमेश्वर ने सर्प से कहा , तू ने जो यह किया है इसलिये तू सब घरेलू पशुओं , और सब बनैले पशुओं से अधिक शापित है ; तू पेट के बल चला करेगा , और जीवन भर मिट्टी चाटता रहेगा :
(trg)="b.GEN.3.14.1"> پس خداوند خدا به مار گفت : « چونکه این کار کردی ، از جمیع بهایم و از همه حیوانات صحرا ملعون تر هستی ! بر شکمت راه خواهی رفت و تمام ایام عمرت خاک خواهی خورد .

(src)="b.GEN.3.15.1"> और मै तेरे और इस स्त्री के बीच में , और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करूंगा , वह तेरे सिर को कुचल डालेगा , और तू उसकी एड़ी को डसेगा ।
(trg)="b.GEN.3.15.1"> وعداوت در میان تو و زن ، و در میان ذریت تو و ذریت وی می ‌ گذارم ؛ او سر تو را خواهد کوبید وتو پاشنه وی را خواهی کوبید . »

(src)="b.GEN.3.16.1"> फिर स्त्री से उस ने कहा , मै तेरी पीड़ा और तेरे गर्भवती होने के दु : ख को बहुत बढ़ाऊंगा ; तू पीड़ित होकर बालक उत्पन्न करेगी ; और तेरी लालसा तेरे पति की ओर होगी , और वह तुझ पर प्रभुता करेगा ।
(trg)="b.GEN.3.16.1"> و به زن گفت : « الم و حمل تو را بسیار افزون گردانم ؛ با الم فرزندان خواهی زایید و اشتیاق تو به شوهرت خواهد بود و او بر تو حکمرانی خواهد کرد . »

(src)="b.GEN.3.17.1"> और आदम से उस ने कहा , तू ने जो अपनी पत्नी की बात सुनी , और जिस वृक्ष के फल के विषय मै ने तुझे आज्ञा दी थी कि तू उसे न खाना उसको तू ने खाया है , इसलिये भूमि तेरे कारण शापित है : तू उसकी उपज जीवन भर दु : ख के साथ खाया करेगा :
(trg)="b.GEN.3.17.1"> و به آدم گفت : « چونکه سخن زوجه ات راشنیدی و از آن درخت خوردی که امرفرموده ، گفتم از آن نخوری ، پس بسبب توزمین ملعون شد ، و تمام ایام عمرت از آن بارنج خواهی خورد .

(src)="b.GEN.3.18.1"> और वह तेरे लिये कांटे और ऊंटकटारे उगाएगी , और तू खेत की उपज खाएगा ;
(trg)="b.GEN.3.18.1"> خار و خس نیز برایت خواهد رویانید و سبزه های صحرا را خواهی خورد ،

(src)="b.GEN.3.19.1"> और अपने माथे के पसीने की रोटी खाया करेगा , और अन्त में मिट्टी में मिल जाएगा ; क्योंकि तू उसी में से निकाला गया है , तू मिट्टी तो है और मिट्टी ही में फिर मिल जाएगा ।
(trg)="b.GEN.3.19.1"> و به عرق پیشانی ات نان خواهی خوردتا حینی که به خاک راجع گردی ، که از آن گرفته شدی زیرا که تو خاک هستی و به خاک خواهی برگشت . »

(src)="b.GEN.3.20.1"> और आदम ने अपनी पत्नी का नाम हव्वा रखा ; क्योंकि जितने मनुष्य जीवित हैं उन सब की आदिमाता वही हुई ।
(trg)="b.GEN.3.20.1"> و آدم زن خود را حوا نام نهاد ، زیرا که اومادر جمیع زندگان است .

(src)="b.GEN.3.21.1"> और यहोवा परमेश्वर ने आदम और उसकी पत्नी के लिये चमड़े के अंगरखे बनाकर उनको पहिना दिए ।
(trg)="b.GEN.3.21.1"> و خداوند خدارختها برای آدم و زنش از پوست بساخت وایشان را پوشانید .

(src)="b.GEN.3.22.1"> फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा , मनुष्य भले बुरे का ज्ञान पाकर हम में से एक के समान हो गया है : इसलिये अब ऐसा न हो , कि वह हाथ बढ़ाकर जीवन के वृक्ष का फल भी तोड़ के खा ले और सदा जीवित रहे ।
(trg)="b.GEN.3.22.1"> و خداوند خدا گفت : « هماناانسان مثل یکی از ما شده است ، که عارف نیک وبد گردیده . اینک مبادا دست خود را دراز کند و ازدرخت حیات نیز گرفته بخورد ، و تا به ابد زنده ماند . »

(src)="b.GEN.3.23.1"> तब यहोवा परमेश्वर ने उसको अदन की बाटिका में से निकाल दिया कि वह उस भूमि पर खेती करे जिस मे से वह बनाया गया था ।
(trg)="b.GEN.3.23.1"> پس خداوند خدا ، او را از باغ عدن بیرون کرد تا کار زمینی را که از آن گرفته شده بود ، بکند.پس آدم را بیرون کرد و به طرف شرقی باغ عدن ، کروبیان را مسکن داد و شمشیرآتشباری را که به هر سو گردش می ‌ کرد تا طریق درخت حیات را محافظت کند .

(src)="b.GEN.3.24.1"> इसलिये आदम को उस ने निकाल दिया और जीवन के वृक्ष के मार्ग का पहरा देने के लिये अदन की बाटिका के पूर्व की ओर करूबों को , और चारों ओर घूमनेवाली ज्वालामय तलवार को भी नियुक्त कर दिया । ।
(trg)="b.GEN.3.24.1"> پس آدم را بیرون کرد و به طرف شرقی باغ عدن ، کروبیان را مسکن داد و شمشیرآتشباری را که به هر سو گردش می ‌ کرد تا طریق درخت حیات را محافظت کند .

(src)="b.GEN.4.1.1"> जब आदम अपनी पत्नी हव्वा के पास गया तब उस ने गर्भवती होकर कैन को जन्म दिया और कहा , मै ने यहोवा की सहायता से एक पुरूष पाया है ।
(trg)="b.GEN.4.1.1"> و آدم ، زن خود حوا را بشناخت و او حامله شده ، قائن را زایید . و گفت : « مردی از یهوه حاصل نمودم . »

(src)="b.GEN.4.2.1"> फिर वह उसके भाई हाबिल को भी जन्मी , और हाबिल तो भेड़- बकरियों का चरवाहा बन गया , परन्तु कैन भूमि की खेती करने वाला किसान बना ।
(trg)="b.GEN.4.2.1"> و بار دیگر برادر او هابیل رازایید . و هابیل گله بان بود ، و قائن کارکن زمین بود .

(src)="b.GEN.4.3.1"> कुछ दिनों के पश्चात् कैन यहोवा के पास भूमि की उपज में से कुछ भेंट ले आया ।
(trg)="b.GEN.4.3.1"> و بعد از مرور ایام ، واقع شد که قائن هدیه ‌ ای ازمحصول زمین برای خداوند آورد .

(src)="b.GEN.4.4.1"> और हाबिल भी अपनी भेड़- बकरियों के कई एक पहिलौठे बच्चे भेंट चढ़ाने ले आया और उनकी चर्बी भेंट चढ़ाई ; तब यहोवा ने हाबिल और उसकी भेंट को तो ग्रहण किया ,
(trg)="b.GEN.4.4.1"> و هابیل نیزاز نخست زادگان گله خویش و پیه آنها هدیه ‌ ای آورد . و خداوند هابیل و هدیه او را منظورداشت ،

(src)="b.GEN.4.5.1"> परन्तु कैन और उसकी भेंट को उस ने ग्रहण न किया । तब कैन अति क्रोधित हुआ , और उसके मुंह पर उदासी छा गई ।
(trg)="b.GEN.4.5.1"> اما قائن و هدیه او را منظور نداشت . پس خشم قائن به شدت افروخته شده ، سر خود رابزیر افکند .

(src)="b.GEN.4.6.1"> तब यहोवा ने कैन से कहा , तू क्यों क्रोधित हुआ ? और तेरे मुंह पर उदासी क्यों छा गई है ?
(trg)="b.GEN.4.6.1"> آنگاه خداوند به قائن گفت : « چراخشمناک شدی ؟ و چرا سر خود را بزیرافکندی ؟

(src)="b.GEN.4.7.1"> यदि तू भला करे , तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी ? और यदि तू भला न करे , तो पाप द्वार पर छिपा रहता है , और उसकी लालसा तेरी और होगी , और तू उस पर प्रभुता करेगा ।
(trg)="b.GEN.4.7.1"> اگر نیکویی می ‌ کردی ، آیا مقبول نمی شدی ؟ و اگر نیکویی نکردی ، گناه بر در ، درکمین است و اشتیاق تو دارد ، اما تو بر وی مسلطشوی . »

(src)="b.GEN.4.8.1"> तब कैन ने अपने भाई हाबिल से कुछ कहा : और जब वे मैदान में थे , तब कैन ने अपने भाई हाबिल पर चढ़कर उसे घात किया ।
(trg)="b.GEN.4.8.1"> و قائن با برادر خود هابیل سخن گفت . و واقع شد چون در صحرا بودند ، قائن بر برادر خودهابیل برخاسته او را کشت .

(src)="b.GEN.4.9.1"> तब यहोवा ने कैन से पूछा , तेरा भाई हाबिल कहां है ? उस ने कहा मालूम नहीं : क्या मै अपने भाई का रखवाला हूं ?
(trg)="b.GEN.4.9.1"> پس خداوند به قائن گفت : « برادرت هابیل کجاست ؟ » گفت : « نمی دانم ، مگر پاسبان برادرم هستم ؟ »

(src)="b.GEN.4.10.1"> उस ने कहा , तू ने क्या किया है ? तेरे भाई का लोहू भूमि में से मेरी ओर चिल्लाकर मेरी दोहाई दे रहा है !
(trg)="b.GEN.4.10.1"> گفت : « چه کرده ‌ ای ؟ خون برادرت از زمین نزد من فریادبرمی آورد !

(src)="b.GEN.4.11.1"> इसलिये अब भूमि जिस ने तेरे भाई का लोहू तेरे हाथ से पीने के लिये अपना मुंह खोला है , उसकी ओर से तू शापित है ।
(trg)="b.GEN.4.11.1"> و اکنون تو ملعون هستی از زمینی که دهان خود را باز کرد تا خون برادرت را ازدستت فرو برد .

(src)="b.GEN.4.12.1"> चाहे तू भूमि पर खेती करे , तौभी उसकी पूरी उपज फिर तुझे न मिलेगी , और तू पृथ्वी पर बहेतू और भगोड़ा होगा ।
(trg)="b.GEN.4.12.1"> هر گاه کار زمین کنی ، هماناقوت خود را دیگر به تو ندهد . و پریشان و آواره در جهان خواهی بود . »

(src)="b.GEN.4.13.1"> तब कैन ने यहोवा से कहा , मेरा दण्ड सहने से बाहर है ।
(trg)="b.GEN.4.13.1"> قائن به خداوند گفت : « عقوبتم از تحملم زیاده است .

(src)="b.GEN.4.14.1"> देख , तू ने आज के दिन मुझे भूमि पर से निकाला है और मै तेरी दृष्टि की आड़ मे रहूंगा और पृथ्वी पर बहेतू और भगोड़ा रहूंगा ; और जो कोई मुझे पाएगा , मुझे घात करेगा ।
(trg)="b.GEN.4.14.1"> اینک مراامروز بر روی زمین مطرود ساختی ، و از روی تو پنهان خواهم بود . و پریشان و آواره درجهان خواهم بود و واقع می ‌ شود هر ‌ که مرایابد ، مرا خواهد کشت . »

(src)="b.GEN.4.15.1"> इस कारण यहोवा ने उस से कहा , जो कोई कैन को घात करेगा उस से सात गुणा पलटा लिया जाएगा । और यहोवा ने कैन के लिये एक चिन्ह ठहराया ऐसा ने हो कि कोई उसे पाकर मार डाले । ।
(trg)="b.GEN.4.15.1"> خداوند به وی گفت : « پس هر ‌ که قائن را بکشد ، هفت چندان انتقام گرفته شود . » و خداوند به قائن نشانی ‌ ای داد که هر ‌ که او را یابد ، وی را نکشد .

(src)="b.GEN.4.16.1"> तब कैन यहोवा के सम्मुख से निकल गया , और नोद् नाम देश में , जो अदन के पूर्व की ओर है , रहने लगा ।
(trg)="b.GEN.4.16.1"> پس قائن از حضور خداوند بیرون رفت ودر زمین نود ، بطرف شرقی عدن ، ساکن شد .

(src)="b.GEN.4.17.1"> जब कैन अपनी पत्नी के पास गया जब वह गर्भवती हुई और हनोक को जन्मी , फिर कैन ने एक नगर बसाया और उस नगर का नाम अपने पुत्रा के नाम पर हनोक रखा ।
(trg)="b.GEN.4.17.1"> و قائن زوجه خود را شناخت . پس حامله شده ، خنوخ را زایید . و شهری بنا می ‌ کرد ، و آن شهر را به اسم پسر خود ، خنوخ نام نهاد .

(src)="b.GEN.4.18.1"> और हनोक से ईराद उत्पन्न हुआ , और ईराद ने महूयाएल को जन्म दिया , और महूयाएल ने मतूशाएल को , और मतूशाएल ने लेमेक को जन्म दिया ।
(trg)="b.GEN.4.18.1"> وبرای خنوخ عیراد متولد شد ، و عیراد ، محویائیل را آورد ، و محویائیل ، متوشائیل را آورد ، ومتوشائیل ، لمک را آورد .

(src)="b.GEN.4.19.1"> और लेमेक ने दो स्त्रियां ब्याह ली : जिन में से एक का नाम आदा , और दूसरी को सिल्ला है ।
(trg)="b.GEN.4.19.1"> و لمک ، دو زن برای خود گرفت ، یکی را عاده نام بود و دیگری را ظله .

(src)="b.GEN.4.20.1"> और आदा ने याबाल को जन्म दिया । वह तम्बुओं में रहना और जानवरों का पालन इन दोनो रीतियों का उत्पादक हुआ ।
(trg)="b.GEN.4.20.1"> و عاده ، یابال را زایید . وی پدر خیمه نشینان وصاحبان مواشی بود .