19. जदि तू दुनिया क होत्या तउ इ दुनिया तोहसे अपने क नाईं पिरेम करत मुला तू पचे दुनिया क न अह्या अउर इ बरे दुनिया तोहसे दुस्मनी करत ह।
१९ यदि यूयं जगतो लोका अभविष्यत तर्हि जगतो लोका युष्मान् आत्मीयान् बुद्ध्वाप्रेष्यन्त; किन्तु यूयं जगतो लोका न भवथ, अहं युष्मान् अस्माज्जगतोऽरोचयम् एतस्मात् कारणाज्जगतो लोका युष्मान् ऋतीयन्ते।


15 जउन सरगदूत मोसे बतियात रहा, ओकरे लगे सोना क बनी नापइ क एक छड़ी रही जउने स उ नगर क फाटक अउर परकोटा क नाप सकत रहा।
१५ अनरं नगर्य्यास्तदीयगोपुराणां तत्प्राचीरस्य च मापनार्थं मया सम्भाषमाणस्य दूतस्य करे स्वर्णमय एकः परिमाणदण्ड आसीत्।

29 हम सब जानित ही कि परमेस्सर मूसा स बतियात रहा, मुला हम सबेन्ह इ नाहीं जानित कि इ मनई कहाँ स आइ बाटइ?
29 मूसावक्त्रेणेश्वरो जगाद तज्जानीमः किन्त्वेष कुत्रत्यलोक इति न जानीमः।

&nbspतोहका मनई क पूत जइसा होइ क चाही जउन आपन सेवा करावइ नाहीं, मुला सेवा करइ अउर बहोतन क छुटौती बरे आपन प्रान क फिरौती देइ आवा अहइ।
28 इत्थं मनुजपुत्रः सेव्यो भवितुं नहि, किन्तु सेवितुं बहूनां परित्राणमूल्यार्थं स्वप्राणान् दातुञ्चागतः।

36. "यह बरे इस्त्राएल क समूचइ मनइयन ठीक तरह स समुझ लेइ कि परमेस्सर इ ईसू क जेका तू पचे क्रूस प चढ़ाइ दिहे रहा, पर्भू अउर मसीह दुइनउँ ठहरावा ग रहेन!
३६ अतो यं यीशुं यूयं क्रुशेऽहत परमेश्वरस्तं प्रभुत्वाभिषिक्तत्वपदे न्ययुंक्तेति इस्रायेलीया लोका निश्चितं जानन्तु।

23 तिबिरियास क कई ठु नाव उ जगह प आइके रूकिन जउने जगह प उ पचे पर्भू क धन्यबाद दिहे क बाद रोटी खाए रहेन।
२३ किन्तु ततः परं प्रभु र्यत्र ईश्वरस्य गुणान् अनुकीर्त्त्य लोकान् पूपान् अभोजयत् तत्स्थानस्य समीपस्थतिविरियाया अपरास्तरणय आगमन्।

23 "जब उ चालीस बरिस क भवा तउ उ इस्राएल क बंसज, आपन भाइयन क निअरे जाइके ठान लिहेस।
२३ स सम्पूर्णचत्वारिंशद्वत्सरवयस्को भूत्वा इस्रायेलीयवंशनिजभ्रातृन् साक्षात् कर्तुं मतिं चक्रे।

25 अब यूहन्ना क कछू चेलन अउर एक ठु यहूदी क बीच स्वच्छताकरण क लइके बहस होइ लाग।
25 अपरञ्च शाचकर्म्मणि योहानः शिष्यैः सह यिहूदीयलोकानां विवादे जाते, ते योहनः संन्निधिं गत्वाकथयन्,

44. फिलिप्पुस अन्द्रियास अउर पतरस क नगर बैतसैदा क रहइवाला रहा।
४४ (44) बैत्सैदानाम्नि यस्मिन् ग्रामे पितरान्द्रिययोर्वास आसीत् तस्मिन् ग्रामे तस्य फिलिपस्य वसतिरासीत्।

26 काहेकि मैसीडोनिया अउ अखया क कलीसिया क लोगन यरुसलेम मँ परमेस्सर क पवित्तर लोगन मँ स जउन दरिद्र अहइँ, ओनके बरे कछू देइ क निस्चय किहे अहइ।
२६ यतो यिरूशालमस्थपवित्रलोकानां मध्ये ये दरिद्रा अर्थविश्राणनेन तानुपकर्त्तुं माकिदनियादेशीया आखायादेशीयाश्च लोका ऐच्छन्।

8 अउर काहेकि हम मसीह क साथे मर गए, तउ हमार बिसवास बा कि हम उही क साथे जियब।
८ अतएव यदि वयं ख्रीष्टेन सार्द्धम् अहन्यामहि तर्हि पुनरपि तेन सहिता जीविष्याम इत्यत्रास्माकं विश्वासो विद्यते।

16 इ सब बातन उ दिना होइही जउने दिना परमेस्सर मनइयन क छुपी बातन क, जउने क मइँ उपदेस देइत हउँ इ उ सुसमाचार क मुताबिक मसीह ईसू निआव करी।
१६ यस्मिन् दिने मया प्रकाशितस्य सुसंवादस्यानुसाराद् ईश्वरो यीशुख्रीष्टेन मानुषाणाम् अन्तःकरणानां गूढाभिप्रायान् धृत्वा विचारयिष्यति तस्मिन् विचारदिने तत् प्रकाशिष्यते।

8 हम जिअत ह तउ पर्भू क बरे अउर अगर मरित ह तउ पर्भू क बरे।
८ किन्तु यदि वयं प्राणान् धारयामस्तर्हि प्रभुनिमित्तं धारयामः, यदि च प्राणान् त्यजामस्तर्ह्यपि प्रभुनिमित्तं त्यजामः, अतएव जीवने मरणे वा वयं प्रभोरेवास्महे।

29 ओकरे दूसरे दिन यूहन्ना ईसू क अपने लगे आवत देखेस तउ कहेस, "परमेस्सर क मेमना क देखा जउन दुनिया क सब पाप हर लेत ह।
२९ (29) परेऽहनि योहन् स्वनिकटमागच्छन्तं यिशुं विलोक्य प्रावोचत् जगतः पापमोचकम् ईश्वरस्य मेषशावकं पश्यत।

47. मइँ तोहसे सच-सच कहत बाटेउँ कि जउन मनई बिसवास करत ह उ अनन्त जीवन पावत ह।
47 अहं युष्मान् यथार्थतरं वदामि यो जनो मयि विश्वासं करोति सोनन्तायुः प्राप्नोति।

" 35 फिन फिलिप्पुस कहब सुरू किहेस अउर इ सास्तर स लइके ईसू क सुसामाचार तलक सब कछू ओका कहिके सुनाएस।
३५ ततः फिलिपस्तत्प्रकरणम् आरभ्य यीशोरुपाख्यानं तस्याग्रे प्रास्तौत्।

(इही बरे उ सबइ धर्मी गिना जइहीं) 12 अउर उ ओनकर भी पिता अहइ जेनकर खतना भवा बा परन्तु जउन हमार लोगन पूर्वज इब्राहीम क बिसवास क ही मारग क जेका उ खतना होइ स परगट किहे रहेन, अनुसरण करत हीं।
१२ ये च लोकाः केवलं छिन्नत्वचो न सन्तो ऽस्मत्पूर्व्वपुरुष इब्राहीम् अछिन्नत्वक् सन् येन विश्वासमार्गेण गतवान् तेनैव तस्य पादचिह्नेन गच्छन्ति तेषां त्वक्छेदिनामप्यादिपुरुषो भवेत् तदर्थम् अत्वक्छेदिनो मानवस्य विश्वासात् पुण्यम् उत्पद्यत इति प्रमाणस्वरूपं त्वक्छेदचिह्नं स प्राप्नोत्।

&nbspतोहका मनई क पूत जइसा होइ क चाही जउन आपन सेवा करावइ नाहीं, मुला सेवा करइ अउर बहोतन क छुटौती बरे आपन प्रान क फिरौती देइ आवा अहइ।
४५ यतो मनुष्यपुत्रः सेव्यो भवितुं नागतः सेवां कर्त्तां तथानेकेषां परित्राणस्य मूल्यरूपस्वप्राणं दातुञ्चागतः।

2 अउर उ दमिस्क क आराधनालय क नाउँ इ मंसा क चिट्ठी लिहेस कि जेहसे ओका हुवाँ अगर कउनो इ पंथ क चेलन मिलइ, फिन चाहे उ स्त्रियन होइ, चाहे पुरुसन, तउ उ ओका बंदी बनाइ सकइ अउर फिन वापिस यरूसलेम लइ आवइ।
२ स्त्रियं पुरुषञ्च तन्मतग्राहिणं यं कञ्चित् पश्यति तान् धृत्वा बद्ध्वा यिरूशालमम् आनयतीत्याशयेन दम्मेषक्नगरीयं धर्म्मसमाजान् प्रति पत्रं याचितवान्।

2. हम तोहे सब जने क बरे हमेसा परमेस्सर क धन्यबाद देत रहित ह अउर अपने पराथनन मँ हमका तोहर याद बनी रहत ह।
२ वयं सर्व्वेषां युष्माकं कृते ईश्वरं धन्यं वदामः प्रार्थनासमये युष्माकं नामोच्चारयामः,

30 अगर मइँ धन्यबाद दइके, खाना मँ हिस्सा लेइत ह तउ जेह चीज क बरे मइँ परमेस्सर क धन्यबाद देइत ह, ओकरे बरे मोर आलोचना नाहीं कीन्ह जाइ चाही।
३० अनुग्रहपात्रेण मया धन्यवादं कृत्वा यद् भुज्यते तत्कारणाद् अहं कुतो निन्दिष्ये?

11. जेहमाँ जन्मा भवा यहूदी अउर यहूदी धरम क मनइयन, क्रेती अउर अरबी लोग हम सबइ परमेस्सर क अचरज कारजन क आपन आपन भाखा मँ सुनत अहइँ।
११ अस्माकं निजनिजभाषाभिरेतेषाम् ईश्वरीयमहाकर्म्मव्याख्यानं शृणुमः।

25. अब यूहन्ना क कछू चेलन अउर एक ठु यहूदी क बीच स्वच्छताकरण क लइके बहस होइ लाग।
२५ अपरञ्च शाचकर्म्मणि योहानः शिष्यैः सह यिहूदीयलोकानां विवादे जाते, ते योहनः संन्निधिं गत्वाकथयन्,

4 हम इ सब बात तोहरे बरे इ कारण स लिखत अही जइसेन कि तोहार आनन्द पूरा होइ जाइ।
४ अपरञ्च युष्माकम् आनन्दो यत् सम्पूर्णो भवेद् तदर्थं वयम् एतानि लिखामः।

13 काहेकि उ सबइ खुदउ नकइ खतना होइ चुका बा, व्यवस्था क पालन नाहीं करतेन मुला फिन भी ओ पचे चाहत हीं कि तू पचे खतना करावा ताकि उ पचे तू सबन क जरिये इही सरीस क प्रथा क अपनाइ जाइ पर डींग मार सकइँ।
१३ ते त्वक्छेदग्राहिणोऽपि व्यवस्थां न पालयन्ति किन्तु युष्मच्छरीरात् श्लाघालाभार्थं युष्माकं त्वक्छेदम् इच्छन्ति।

6. कठोर सब यातना क बीच पू पवित्तर आतिमा स मिलइवाली खुशी क साथे उपदेस क ग्रहण किहा अउर हमार अउर पर्भू क अनुकरण करई लाग्या।
६ यूयमपि बहुक्लेशभोगेन पवित्रेणात्मना दत्तेनानन्देन च वाक्यं गृहीत्वास्माकं प्रभोश्चानुगामिनोऽभवत।

29 ओकरे दूसरे दिन यूहन्ना ईसू क अपने लगे आवत देखेस तउ कहेस, "परमेस्सर क मेमना क देखा जउन दुनिया क सब पाप हर लेत ह।
29 परेऽहनि योहन् स्वनिकटमागच्छन्तं यिशुं विलोक्य प्रावोचत् जगतः पापमोचकम् ईश्वरस्य मेषशावकं पश्यत।

19 जदि तू दुनिया क होत्या तउ इ दुनिया तोहसे अपने क नाईं पिरेम करत मुला तू पचे दुनिया क न अह्या अउर इ बरे दुनिया तोहसे दुस्मनी करत ह।
19 यदि यूयं जगतो लोका अभविष्यत तर्हि जगतो लोका युष्मान् आत्मीयान् बुद्ध्वाप्रेष्यन्त; किन्तु यूयं जगतो लोका न भवथ, अहं युष्मान् अस्माज्जगतोऽरोचयम् एतस्मात् कारणाज्जगतो लोका युष्मान् ऋतीयन्ते।

&nbspहाँ, तउ फिन जे मसीह क बरे आपन प्रान दइ दिहेन, उ सबइ अइसेन ही खतम भएन।
ख्रिस्तीपूजागृहेषु अपि विस्फोटाः अभवन्।

18 काहेकि ओन्ही क द्वारा एक्कइ आतिमा स परमपिता क लगे तलक हम दुन्नऊ क पहुँच भई।
१८ यतस्तस्माद् उभयपक्षीया वयम् एकेनात्मना पितुः समीपं गमनाय सामर्थ्यं प्राप्तवन्तः।

34 मइँ मनई क साच्छी प भरोसा नाहीं करित मुला मइँ इ बरे कहत हउँ जइसे कि तू पचनक उद्धार होइ जाइ।
34 मानुषादहं साक्ष्यं नोपेक्षे तथापि यूयं यथा परित्रयध्वे तदर्थम् इदं वाक्यं वदामि।

15. एही बरे मइँ आपन पूरा प्रयत्न करबइ कि मोरे मरि जाइके बाद भी तू पचे मोरे इ बातन क याद रख सका।
१५ मम परलोकगमनात् परमपि यूयं यदेतानि स्मर्त्तुं शक्ष्यथ तस्मिन् सर्व्वथा यतिष्ये।

6 मुला मइँ तोसे कहत हउँ, हियाँ जउन कउनो बाटइ उ मंदिर ते बड़वार बाटइ।
६ युष्मानहं वदामि, अत्र स्थाने मन्दिरादपि गरीयान् एक आस्ते।

34 तउ उ पचे ओसे कहेन, "हे पर्भू, अब हम पचे क उ रोटी द्या अउर हमेसा देत रहा।
३४ तदा ते प्रावोचन् हे प्रभो भक्ष्यमिदं नित्यमस्मभ्यं ददातु।

26. "जब उ सहायक जउन सत्य क आतिमा बाटइ अउर पिता क तरफ स आइ बा, तोहरे पास आई, जेका मइँ परमपिता क तरफ स भेजब, उ हमरी तरफ स साच्छी देई।
26 किन्तु पितु र्निर्गतं यं सहायमर्थात् सत्यमयम् आत्मानं पितुः समीपाद् युष्माकं समीपे प्रेषयिष्यामि स आगत्य मयि प्रमाणं दास्यति।

ईसू क साथे खाना खाइवालेन मँ लाजर सामिल रहा।
2 तत्र तदर्थं रजन्यां भोज्ये कृते मर्था पर्य्यवेषयद् इलियासर् च तस्य सङ्गिभिः सार्द्धं भोजनासन उपाविशत्।

5. "अउर जउन कउनो अइसे गदेलन जइसे मनई क मोरे नाउँ मँ मान लेत ह उ मोका मान लेत ह।
५ यः कश्चिद् एतादृशं क्षुद्रबालकमेकं मम नाम्नि गृह्लाति, स मामेव गृह्लाति।

33 "तउ फिन इहइ तरह तोहमाँ स कउनो भी जउन आपन सबहिं धन दौलत क तजि नाहीं देत, मोर चेला नाहीं होइ सकत।
33 तद्वद् युष्माकं मध्ये यः कश्चिन् मदर्थं सर्व्वस्वं हातुं न शक्नोति स मम शिष्यो भवितुं न शक्ष्यति।

60. "तबहीं ओकरे महतारी बोल पड़ी, "नाहीं एकर नाउँ यूहन्ना रखा जाब अहइ।
६० किन्तु तस्य माताकथयत् तन्न, नामास्य योहन् इति कर्त्तव्यम्।

36 "मुला मोर साच्छी यूहन्ना क साच्छी स बड़ी बाटइ, यह बदे कि परमपिता जउन कारज पूरा करइ क बरे मोका जिम्मेवारी सौंपी अहइ, मइँ उहइ कारज करत अहउँ अउर मोर कीन्ह कारज अपने आपइ इ बात क साच्छी अहइ कि परमपिता मोका पठए अहइ।
३६ किन्तु तत्प्रमाणादपि मम गुरुतरं प्रमाणं विद्यते पिता मां प्रेष्य यद्यत् कर्म्म समापयितुं शक्त्तिमददात् मया कृतं तत्तत् कर्म्म मदर्थे प्रमाणं ददाति।

&nbspयहूदी क नेता क बहुत अचरज भवा अउर उ पचे कहेन, "इ मनई आज तक कउनो पाठसाला मँ पढ़इ क बरे नाहीं गवा, इ कइसे ऍतनी गियान क बात करत बाटइ?
१५ ततो यिहूदीया लोका आश्चर्य्यं ज्ञात्वाकथयन् एषा मानुषो नाधीत्या कथम् एतादृशो विद्वानभूत्?

5 "अउर जउन कउनो अइसे गदेलन जइसे मनई क मोरे नाउँ मँ मान लेत ह उ मोका मान लेत ह।
५ यः कश्चिद् एतादृशं क्षुद्रबालकमेकं मम नाम्नि गृह्लाति, स मामेव गृह्लाति।

उ ओनका बाहेर लइ जाइके कहेस, 20 "जा, मन्दिर मँ ठाड़ होइ जा अउर इ नई जिन्नगी क बारे मँ मनइयन क सब कछू बतावा।
२० यूयं गत्वा मन्दिरे दण्डायमानाः सन्तो लोकान् प्रतीमां जीवनदायिकां सर्व्वां कथां प्रचारयत।

27 एकरे जवाब मँ यूहन्ना कहेस, "कउनो मनई क तब तक कछू नाहीं मिल सकत जब तक कि ओका परमेस्सर स न दीन्ह ग होइ।
२७ तदा योहन् प्रत्यवोचद् ईश्वरेण न दत्ते कोपि मनुजः किमपि प्राप्तुं न शक्नोति।

&nbspअउर तबहिं उ पचे मनई क पूत क आपन सक्ती अउर महान महिमा क एक बादर आवत भवा देखिहीं।
27 तदा पराक्रमेणा महातेजसा च मेघारूढं मनुष्यपुत्रम् आयान्तं द्रक्ष्यन्ति।

अउर अपनी महिमा क उपस्थिती मँ तू पचन क निर्दोस अउर आनन्दित कइके खड़ा कइ सकत ह।
२४ अपरञ्च युष्मान् स्खलनाद् रक्षितुम् उल्लासेन स्वीयतेजसः साक्षात् निर्द्दोषान् स्थापयितुञ्च समर्थो

अब मइँ तू सबन क एनन्ह बातन क बारे मँ वइसेन ही चेतावत हउँ जइसेन मइँ तू सबन क पहिलेन चेताई दिहे रहेउँ कि जउन लोग इन बातन मँ भाग लेइहीं, उ पचे परमेस्सर क राज्य क उतराधिकार न पइहीं।
पूर्व्वं यद्वत् मया कथितं तद्वत् पुनरपि कथ्यते ये जना एतादृशानि कर्म्माण्याचरन्ति तैरीश्वरस्य राज्येऽधिकारः कदाच न लप्स्यते।

14 काहेकि हम जानित ह कि जे पर्भू ईसू क मरे रहे मँ जियाइ क उठाएस उ हमहूँ क उही तरह ईसू क साथ जिन्दा करिही।
१४ प्रभु र्यीशु र्येनोत्थापितः स यीशुनास्मानप्युत्थापयिष्यति युष्माभिः सार्द्धं स्वसमीप उपस्थापयिष्यति च, वयम् एतत् जानीमः।

6. मोका इ बात क पूरा भरोसा बाटइ कि उ परमेस्सर जे तोहरे बीच मँ अइसेन अच्छा काम सुरु किहे अहइ, उहइ ओका उहइ दिना तक बनाए रखी, जब ईसू मसीह फिन आइके ओका पूरा करी।
६ युष्मन्मध्ये येनोत्तमं कर्म्म कर्त्तुम् आरम्भि तेनैव यीशुख्रीष्टस्य दिनं यावत् तत् साधयिष्यत इत्यस्मिन् दृढविश्वासो ममास्ते।

13 अउर इही बरे हम परमेस्सर क धन्यबाद हमेसा करत रहित ह काहेकि हमसे तू जब परमेस्सर क बचन ग्रहन किहा ह तउ ओका मनवीय संदेस क रूप मँ नाही बल्कि परमेस्सर क संदेस क रूप मँ गहण किहा, जइसेन कि उ सही मँ बा।
१३ यस्मिन् समये यूयम् अस्माकं मुखाद् ईश्वरेण प्रतिश्रुतं वाक्यम् अलभध्वं तस्मिन् समये तत् मानुषाणां वाक्यं न मत्त्वेश्वरस्य वाक्यं मत्त्वा गृहीतवन्त इति कारणाद् वयं निरन्तरम् ईश्वरं धन्यं वदामः, यतस्तद् ईश्वरस्य वाक्यम् इति सत्यं विश्वासिनां युष्माकं मध्ये तस्य गुणः प्रकाशते च।