46 मुला ओहमाँ स कछू फरीसियन क लगे गएन अउर जउऩ कछू ईसू करे रहा, ओऩका बताएऩ।
46 किन्तु केचिदन्ये फिरूशिनां समीपं गत्वा यीशोरेतस्य कर्म्मणो वार्त्ताम् अवदन्।
4 "मुला मोर मीतो, मइँ तोहसे कहत हउँ ओनसे जिन डेराअ जउन तोहरे तन क मारि डाइ सकत हीं अउर ओकरे पाछे अइसा कछू नाहीं अहइ जउन ओनके बस मँ होइ।
४ हे बन्धवो युष्मानहं वदामि, ये शरीरस्य नाशं विना किमप्यपरं कर्त्तुं न शक्रुवन्ति तेभ्यो मा भैष्ट।
46 मुला ओहमाँ स कछू फरीसियन क लगे गएन अउर जउऩ कछू ईसू करे रहा, ओऩका बताएऩ।
४६ किन्तु केचिदन्ये फिरूशिनां समीपं गत्वा यीशोरेतस्य कर्म्मणो वार्त्ताम् अवदन्।
16 मइँ परमपिता क पराथना करबइ अउर उ तोहका सबेन्ह का एक दूसर सहायक देइ जउन तोहरे साथे हमेसा रही।
16 ततो मया पितुः समीपे प्रार्थिते पिता निरन्तरं युष्माभिः सार्द्धं स्थातुम् इतरमेकं सहायम् अर्थात् सत्यमयम् आत्मानं युष्माकं निकटं प्रेषयिष्यति।
 सुना, अब समइ आवत अहइ, हिआँ तक कि आइ ग अहइ, जबहिं तू पचे सब तितर बितर होइ जाब्या अउर तोहरे मँ स सब कउनो अपने अपने घरे चला जाब्या अउर मोका अकेले छोड़ देब्या, मुला मइँ अकेले नाहीं अही, काहेके परमपिता मोरे साथ अहइ।
32 पश्यत सर्व्वे यूयं विकीर्णाः सन्तो माम् एकाकिनं पीरत्यज्य स्वं स्वं स्थानं गमिष्यथ, एतादृशः समय आगच्छति वरं प्रायेणोपस्थितवान्; तथाप्यहं नैकाकी भवामि यतः पिता मया सार्द्धम् आस्ते।
John 10:1 ईसू कहेस, मइँ तोहसे सच्ची बात बतावत अहउँ कि जउऩ मनई भेड़िन क बाड़े मँ दरवाजा स न घुसिके कउनो अउर रस्ते स घुसत ह तउ, उ चोर अहइ, लुटेरा अहइ।
१ अहं युष्मानतियथार्थं वदामि, यो जनो द्वारेण न प्रविश्य केनाप्यन्येन मेषगृहं प्रविशति स एव स्तेनो दस्युश्च।
 इ रहस्यपूर्ण सच बहुत महत्वपूर्ण बा अउर मइँ तोहे बताइत ह कि इ मसीह अउर कलीसिया पर लागू होत ह।
३२ एतन्निगूढवाक्यं गुरुतरं मया च ख्रीष्टसमिती अधि तद् उच्यते।
8. हम बिना मूल चुकाए कीहीउँ स भोजन नाहीं ग्रहण कीन्ह, बल्कि जतन अउर मेरनत करत भए हम दिन रात काम मँ जुटा रहे ताकि तोहमाँ स कीहीउँ पर बोझ न पड़इ।
८ विनामूल्यं कस्याप्यन्नं नाभुंज्महि किन्तु कोऽपि यद् अस्माभि र्भारग्रस्तो न भवेत् तदर्थं श्रमेण क्लेशेन च दिवानिशं कार्य्यम् अकुर्म्म।
25 ओका इ बात क कउनो जरुरत नाहीं रही कि केहू आइके ओका लोगन क बारे मँ बतावइ, ऍह बरे कि उ अच्छी तरह जानत रहा कि लोगन क मन मँ का अहइ।
25 स मानवेषु कस्यचित् प्रमाणं नापेक्षत यतो मनुजानां मध्ये यद्यदस्ति तत्तत् सोजानात्।
मइँ तोसे सच कहत हउँ कि ओनका तउ ऍकर पूर-पूर फल पहिले ही दीन्ह जाइ गवा अहइ।
४७ युष्मानहं सत्यं वदामि, स तं निजसर्व्वस्वस्याधिपं करिष्यति।
26. एह बरे उ सब यूहन्ना क लगे आएन अउर कहेन, "गुरु, जउन मनई यरदन क ओहॅ पार तोहरे साथ रहा अउर जेकरे बारे मँ तू बताए रह्या, उ लोगन्ह क बपतिस्मा देत अहइ, अउर सब मनई ओकरे पास जात अहइँ।
26 हे गुरो यर्द्दननद्याः पारे भवता सार्द्धं य आसीत् यस्मिंश्च भवान् साक्ष्यं प्रददात् पश्यतु सोपि मज्जयति सर्व्वे तस्य समीपं यान्ति च।
3. ईसू इ जानत रहा कि परमपिता सब चीज ओकरे हाथन मँ सौंप दिहे अहइ अउर परमेस्सर स आवा बाटइ, अउर परमेस्सर क पास वापस जात अहइ।
3 यदा शैतान् तं परहस्तेषु समर्पयितुं शिमोनः पुत्रस्य ईष्कारियोतियस्य यिहूदा अन्तःकरणे कुप्रवृत्तिं समार्पयत्,
32. सुना, अब समइ आवत अहइ, हिआँ तक कि आइ ग अहइ, जबहिं तू पचे सब तितर बितर होइ जाब्या अउर तोहरे मँ स सब कउनो अपने अपने घरे चला जाब्या अउर मोका अकेले छोड़ देब्या, मुला मइँ अकेले नाहीं अही, काहेके परमपिता मोरे साथ अहइ।
३२ पश्यत सर्व्वे यूयं विकीर्णाः सन्तो माम् एकाकिनं पीरत्यज्य स्वं स्वं स्थानं गमिष्यथ, एतादृशः समय आगच्छति वरं प्रायेणोपस्थितवान्; तथाप्यहं नैकाकी भवामि यतः पिता मया सार्द्धम् आस्ते।
33 यहूदियन जवाब दिहेन, "हम पचे तोहरे ओन सभी नीक काम बरे पाथर नाहीं मारत अही, मुला इ बरे अइसा करत अही कि तू परमेस्सर क अपमान करे अहा अउर मनई होत भए खुदइ क परमेस्सर कहत अहा।
33 यिहूदीयाः प्रत्यवदन् प्रशस्तकर्म्महेतो र्न किन्तु त्वं मानुषः स्वमीश्वरम् उक्त्वेश्वरं निन्दसि कारणादस्मात् त्वां पाषाणैर्हन्मः।
का तू अबहुँ समझत बुझत नाहीं बाट्या?
13 अथ स कथितवान् यूयं किमेतद् दृष्टान्तवाक्यं न बुध्यध्वे?
 सुना, अब समइ आवत अहइ, हिआँ तक कि आइ ग अहइ, जबहिं तू पचे सब तितर बितर होइ जाब्या अउर तोहरे मँ स सब कउनो अपने अपने घरे चला जाब्या अउर मोका अकेले छोड़ देब्या, मुला मइँ अकेले नाहीं अही, काहेके परमपिता मोरे साथ अहइ।
३२ पश्यत सर्व्वे यूयं विकीर्णाः सन्तो माम् एकाकिनं पीरत्यज्य स्वं स्वं स्थानं गमिष्यथ, एतादृशः समय आगच्छति वरं प्रायेणोपस्थितवान्; तथाप्यहं नैकाकी भवामि यतः पिता मया सार्द्धम् आस्ते।
15 जउन मनई अपने भाई स नफरत करत ह, उ हतियारा अहइ अउर तू जानत ही अहा कि जउन मनई हतियारा होत ह, उ अनन्त जीवन नाहीं रखत।
१५ यः कश्चित् स्वभ्रातरं द्वेष्टि सं नरघाती किञ्चानन्तजीवनं नरघातिनः कस्याप्यन्तरे नावतिष्ठते तद् यूयं जानीथ।
69 अब हम पचे तोह पर बिसवास करित ह अउर हम जानित ह कि तू सबसे पवित्तर अहा जेहिका परमेस्सर भेजे अहइ।
भवान् अमरेश्वरस्याभिषिक्त्तपुत्र इति विश्वस्य निश्चितं जानीमः।
19 कछू देर क बाद दुनिया मोका अउर न देखी मुला तू पचे मोका देखब्या काहेकि मइँ जिअत अही अउर तू सबेन्ह जिअत रहब्या।
१९ कियत्कालरत् परम् अस्य जगतो लोका मां पुन र्न द्रक्ष्यन्ति किन्तु यूयं द्रक्ष्यथ;अहं जीविष्यामि तस्मात् कारणाद् यूयमपि जीविष्यथ।
17. बल्कि उ तउ जब रोम आवा रहा, जब तलक मोसे मिल नाहीं लिहेस, जतन स मोका निरन्तर ढूँढ़त रहा।
स्फुटामिमां वेत्थ पुरीं समन्ताद् यो रोमकूपान् मम चातिगन्धः।
"जउऩ मनई मरा रहा, ओकर बहिन मार्था कहेस, "पर्भू अब तलक तउ हुवाँ स गन्ध आवइ लाग, काहेकि ओका दफनाए चार दिन होइ गएन।
39 तदा यीशुरवदद् एनं पाषाणम् अपसारयत, ततः प्रमीतस्य भगिनी मर्थावदत् प्रभो, अधुना तत्र दुर्गन्धो जातः, यतोद्य चत्वारि दिनानि श्मशाने स तिष्ठति।
19 हम पिरेम करित अही काहेकि पहले परमेस्सर हमसे पहिले पिरेम करे अहइ।
१९ अस्मासु स प्रथमं प्रीतवान् इति कारणाद् वयं तस्मिन् प्रीयामहे।
14. काहेकि मइँ इ जानित हउँ कि मोका अपने इ काया क जल्दी ही छौड़इ क होई जइसेन हमरे पर्भू ईसू मसीह मोका देखाएस ह।
१४ यतो ऽस्माकं प्रभु र्यीशुख्रीष्टो मां यत् ज्ञापितवान् तदनुसाराद् दूष्यमेतत् मया शीघ्रं त्यक्तव्यम् इति जानामि।
7 पिआरे बन्धुअन, मइँ तोहका कउनो नई हुकुमन नाहीं लिखत अहउँ, इ तउ एक सनातनी हुकुम अहइ, जउन तोहका सुरूआतइ मँ दइ दीन्ह गइ रही।
७ हे प्रियतमाः, युष्मान् प्रत्यहं नूतनामाज्ञां लिखामीति नहि किन्त्वादितो युष्माभि र्लब्धां पुरातनामाज्ञां लिखामि।
43 मइँ अपने परमपिता क नाउँ स आइ अहउँ तबहूँ तू पचे स्वीकार नाहीं करत अहा, अउर अगर कउनो दूसरे नाउँ स कहे आइ जाइ तउ तू ओका स्वीकार करब्या।
४३ अहं निजपितु र्नाम्नागतोस्मि तथापि मां न गृह्लीथ किन्तु कश्चिद् यदि स्वनाम्ना समागमिष्यति तर्हि तं ग्रहीष्यथ।
19. मोर पिआरे भाइयो तथा बाहिनियो, खियाल रखा, हर कीहीउ क पत्परता क साथे सुनइ चाही, बोलइ मँ जल्दी न करा, अउर जल्दी सा किरोध न करा कर।
१९ अतएव हे मम प्रियभ्रातरः, युष्माकम् एकैको जनः श्रवणे त्वरितः कथने धीरः क्रोधेऽपि धीरो भवतु।
" 33 यहूदियन जवाब दिहेन, "हम पचे तोहरे ओन सभी नीक काम बरे पाथर नाहीं मारत अही, मुला इ बरे अइसा करत अही कि तू परमेस्सर क अपमान करे अहा अउर मनई होत भए खुदइ क परमेस्सर कहत अहा।
33 यिहूदीयाः प्रत्यवदन् प्रशस्तकर्म्महेतो र्न किन्तु त्वं मानुषः स्वमीश्वरम् उक्त्वेश्वरं निन्दसि कारणादस्मात् त्वां पाषाणैर्हन्मः।
29 तबहिं उ आतिमा फिलिप्पुस स कहेस, "उ रथे क निचके जा अउर हुवँइ ठहर जा।
२९ एतस्मिन् समये आत्मा फिलिपम् अवदत्, त्वम् रथस्य समीपं गत्वा तेन सार्द्धं मिल।
3 ईसू ओनका जबाव दिहेस, "मूसा तोहका का आदेस दिए बाटेन?
३ ततः स प्रत्यवादीत्, अत्र कार्य्ये मूसा युष्मान् प्रति किमाज्ञापयत्?
8 अरे अनिआव तू तउ खुदइ करत अहा अउर अपने ही मसीही भाइयन क लूटत अहा।
८ किन्तु यूयमपि भ्रातृनेव प्रत्यन्यायं क्षतिञ्च कुरुथ किमेतत्?
" यसायाह 6:10 41 यसायाह अइसा इ बरे कहे रहा, काहेकि उ ओकर महिमा देखे रहा अउर ओकरे बारे मँ बतियान भी रहा।
41 यिशयियो यदा यीशो र्महिमानं विलोक्य तस्मिन् कथामकथयत् तदा भविष्यद्वाक्यम् ईदृशं प्रकाशयत्।
9. ऍतना कहे क पाछे ओनकइ लखत लखत ओका सरगे मँ ऊपर उठाइ लीन्ह गवा अउर फिन एक बादर ओका आँखी स ओझल कइ दिहेस।
९ इति वाक्यमुक्त्वा स तेषां समक्षं स्वर्गं नीतोऽभवत्, ततो मेघमारुह्य तेषां दृष्टेरगोचरोऽभवत्।
"जदि तू मोरे मँ रहब्या, अउर मोर उपदेस तोहरे मँ रही, तउ जउन कछू तू चाहत ह, ओका माँगा अउर उ तोहका मिल जाई।
7 यदि यूयं मयि तिष्ठथ मम कथा च युष्मासु तिष्ठति तर्हि यद् वाञ्छित्वा याचिष्यध्वे युष्माकं तदेव सफलं भविष्यति।
 हम पिरेम करित अही काहेकि पहले परमेस्सर हमसे पहिले पिरेम करे अहइ।
१९ अस्मासु स प्रथमं प्रीतवान् इति कारणाद् वयं तस्मिन् प्रीयामहे।
उपवास अउर पराथना करत भइ उ रात-दिन आराधना करत रही।
५ अपरं या नारी सत्यविधवा नाथहीना चास्ति सा ईश्वरस्याश्रये तिष्ठन्ती दिवानिशं निवेदनप्रार्थनाभ्यां कालं यापयति।
4 अउर मइँ लिखइवाला रहेउँ, तबइ मइँ एक आकासावाणी सुनेउँ, "सातउ गरजन जउन कछू कहे अहइ, ओका छिपाय ल्या अउर ओका न लिखा।
४ तैः सप्त स्तनितै र्वाक्ये कथिते ऽहं तत् लेखितुम् उद्यत आसं किन्तु स्वर्गाद् वागियं मया श्रुता सप्त स्तनितै र्यद् यद् उक्तं तत् मुद्रयाङ्कय मा लिख।
28 इ बात प अचरज करइ क जरूरत नाहीं अहइ कि उ समइ आवइवाला अहइ कि जब जउन अपनी अपनी कब्र मँ अहइ, ओकर बचन सुनिहइँ।
२८ एतदर्थे यूयम् आश्चर्य्यं न मन्यध्वं यतो यस्मिन् समये तस्य निनादं श्रुत्वा श्मशानस्थाः सर्व्वे बहिरागमिष्यन्ति समय एतादृश उपस्थास्यति।
बंधू, निरगुट, स्यंात रहै तू; करती रहै समाई ।
१३ अपरं हे भ्रातरः, यूयं सदाचरणे न क्लाम्यत।
निस्चय ही नाहीं 2 हमार चिठ्ठी त तू खुदइ अहा जउन हमरे मने मँ लिखा बाटइ जेका सब जने जानत हीं अउर पढ़त हीं।
२ यूयमेवास्माकं प्रशंसापत्रं तच्चास्माकम् अन्तःकरणेषु लिखितं सर्व्वमानवैश्च ज्ञेयं पठनीयञ्च।
जउऩ मनई मरा रहा, ओकर बहिन मार्था कहेस, "पर्भू अब तलक तउ हुवाँ स गन्ध आवइ लाग, काहेकि ओका दफनाए चार दिन होइ गएन।
39 तदा यीशुरवदद् एनं पाषाणम् अपसारयत, ततः प्रमीतस्य भगिनी मर्थावदत् प्रभो, अधुना तत्र दुर्गन्धो जातः, यतोद्य चत्वारि दिनानि श्मशाने स तिष्ठति।
अब होई हमार बर्बादी,
तो निःसंदेह हम खो जायेंगे
3 जउन मनई ओसे अइसी उम्मीद रखत अहइ, उ खुदक वइसे पवित्तर करत ह जइसे मसीह पवित्तर अहइ।
३ तस्मिन् एषा प्रत्याशा यस्य कस्यचिद् भवति स स्वं तथा पवित्रं करोति यथा स पवित्रो ऽस्ति।
" 25 फिन यरुसलेम मँ रहइवाले लोगन मँ स कछू कहेन, "का इहइ तउ उ मनई नाहीं अहइ जेहिका उ लोग मार डावा चाहत अहइँ?
25 तदा यिरूशालम् निवासिनः कतिपयजना अकथयन् इमे यं हन्तुं चेष्टन्ते स एवायं किं न?
2. पिआरे बन्धुअन, अब हम परमेस्सर क सन्तान अही, मुला आगे चलिके हम सब का होबै, एकर जानकारी हमका नाहीं कराई गइ अहइ।
२ हे प्रियतमाः, इदानीं वयम् ईश्वरस्य सन्ताना आस्महे पश्चात् किं भविष्यामस्तद् अद्याप्यप्रकाशितं किन्तु प्रकाशं गते वयं तस्य सदृशा भविष्यामि इति जानीमः, यतः स यादृशो ऽस्ति तादृशो ऽस्माभिर्दर्शिष्यते।
44 तउ उ ओनका छोड़िके फिन गवा अउर तिसरी दाईं भी पहिले क नाईं ओनही सब्दन मँ पराथना करेस।
44 पश्चात् स तान् विहाय व्रजित्वा तृतीयवारं पूर्व्ववत् कथयन् प्रार्थितवान्।
 फिन यरुसलेम मँ रहइवाले लोगन मँ स कछू कहेन, "का इहइ तउ उ मनई नाहीं अहइ जेहिका उ लोग मार डावा चाहत अहइँ?
25 तदा यिरूशालम् निवासिनः कतिपयजना अकथयन् इमे यं हन्तुं चेष्टन्ते स एवायं किं न?
25 फिन यरुसलेम मँ रहइवाले लोगन मँ स कछू कहेन, "का इहइ तउ उ मनई नाहीं अहइ जेहिका उ लोग मार डावा चाहत अहइँ?
25 तदा यिरूशालम् निवासिनः कतिपयजना अकथयन् इमे यं हन्तुं चेष्टन्ते स एवायं किं न?
30 काहेकि संसार क अउर सबहीं मनई चीजन्क क पाछे धावत अहइँ मुला तोहार परमपिता तउ जानत ही अहइ कि तोहका इ चीजन्क जरूरत अहइ।
30 जगतो देवार्च्चका एतानि सर्व्वाणि चेष्टनते; एषु वस्तुषु युष्माकं प्रयोजनमास्ते इति युष्माकं पिता जानाति।
 तू जउन कछू देखे अहा, जउन कछू होत अहइ, अउर कछू आगे होइवाला अहइ ओका लिखत जा।
१९ अतो यद् भवति यच्चेतः परं भविष्यति त्वया दृष्टं तत् सर्व्वं लिख्यतां।
9 जब सब मनई इ सुनेन्ह तउ सबसे पहिले बुढ़वा मनइयन अउर फिन एक एक कइके हुवाँ स खिसकइ लागेन अउर हुवाँ अकेले ईसू बचा रहा।
9 तां कथं श्रुत्वा ते स्वस्वमनसि प्रबोधं प्राप्य ज्येष्ठानुक्रमं एकैकशः सर्व्वे बहिरगच्छन् ततो यीशुरेकाकी तयक्त्तोभवत् मध्यस्थाने दण्डायमाना सा योषा च स्थिता।