44. सबहिं बिसवासी एक संग बटुरत रहेन अउर ओनके लगे जउन कछू रहा, उ पचे आपुस मँ बाँट लेत रहेन।
सब के विश्वास हल, विधाता जरूर अइतन, बकि उनखर अप्पन खुफिया तंत्र हल ।


&nbspमइँ इ बरे बतावत हउँ कि कछू जवान विधवन क सइतान द्वारा पहिलेन स ही बहकाई गइ रहिन।
ई मानूँ कइसनो कुहासा हलइ जे हक्का-बक्का कर देलकइ, ई शैतान के काम हलइ ।

&nbspमुला ऍह पइ उ पचे आपुस मँ तहत्तुक करत कोहाइ गएन अउर बिचारइ लागेन, "ईसू क का कीन्ह जाइ?
' करके एक-दोसर के सिर पर चढ़ो लगल आउ एक-दोसर के धकेला-धकेली करो लगल, ई देखे खातिर कि कइसे, केकरा, के चित्त करऽ हथ ।

क्हेसे परमेश्वर ने जगत से इनतना प्रेप राखेन, कि उ आपन पहिलउठा बेटवा दइदेहेन, ताकि जोकोउ उन मा विशुवास करी, व बेगरी ना, पै अनन्त जीवन पईष्
काहेकि परमेश्वर जगतीया से एैसन प्रेमा रखल कै कि उ अपन एक लौतबा बेटवा दे देलकैय ताकि जे कोय ओरा पर विश्वासवा करै उ नष्ट न हो बै लेकिन अनन्त जीवनमा पाए।

मानो उनकर बात ला अऊर सपूत कहाव
औदु औद् औदि औपद औपन औपे और् औला औलू बंद

मा मा उपरोत्सीः अति मा सृजैनम् ॥
जें बनाय देलकै हमरा अदलाही

अउर तोहसे बात करिहीं।
हमरो तोहरा से बात करे के हको ।

वासे पण अवाये वाला गाय का बड़ा फल होई ता बड़ा फल होई हो-
जे जे गेलै सतसंगति में, सब कोय भेलै महान हे॥

38 तउ तू उ मिस्र क मनई तउ नाहीं अहा न जउन पहिले दंगा सुरु कराए रहा अउर जउन हियाँ रेगिस्तान मँ चार हजार आंतकवादी लोगन क अगुअई करत रहा?
6879 पिछुती (तहिना मिसिर के ठकुरवारी के ~ माँस बनलवऽ हल आउ तोहनी दूनो लुका के ओहिजे खैलऽ हल से का कोई नऽ जानवऽ ?

&nbspजेहसे बुद्धि अउर आतिमा मँ तोहे नवा कीन्ह जाइ सकई।
ऊ तुंहई हऊ जेसे बतिया के भोजपुरी नया अर्थ पावत रहल

अह्यन अल्लाह का रहमत
चाहे वो रहमान हो

रहै नियारा सब करे, काहू लिप्त न होइ।
चुपे-चुपे सब काम करबें आउ कहे के हिम्मत तो हउ नऽ ।

मा से विवाह
हमर शादी हो गेल

अउर सइतान क अहइ।
ई मानूँ कइसनो कुहासा हलइ जे हक्का-बक्का कर देलकइ, ई शैतान के काम हलइ ।

24. कउनो भी साथ साथ दुइ सुआमी क नउकर नाहीं होइ सकत काहेकि उ एक स तउ उ घिना करी अउर दूसर स पिरेम।
(एक्के साथ) दू मालिक के कोय नयँ सेवा कर सकऽ हइ; काहेकि या तो एगो से नफरत करतइ, आउ दोसरा के प्यार, चाहे एगो लगी समर्पित रहतइ, आउ दोसरा के खियाल नयँ कर पइतइ ।

" मा पमादमनुयुञ्ञेन्ति , मा कामरतिसन्थवं।
ई सब हमर दुश्मन लोग के गढ़ल हइ; ई अइसन लोग हइ, जे हमर जान लेवे पर तुल्लल रहऽ हइ ।

आपुस मा सब साढ़ू भाई तुहिन बतावा.
सभे भाई लोगन के प्रणाम,

ओ धन्न अहइ जउन जन मोर राह पइ चलत हीं।
उ किस्मत वाला होई जे भी हमरा के पाली ही

मा दे॑वा म॒घवा॑ रिषत्॥
देवा हि मां हसिष्यन्ति दृष्ट्वा पूर्वापकारिणम् ।

23 ऍह पइ उ आपुस मँ एक दुसरे स सवाल करइ लागेन, "ओहमाँ स उ कउन होइ सकत ह जउन अइसा करइ जात अहइ?
आपस में बइठ के राय-विचार कयल गेल कि का करे चाही।

7 एक समइ रहा जब तूहउ अइसेन करम करत इही तरह क जीवन जिया करत रह्या।
तों तो पहिलहीं ने अइलऽ हल ई घर में, बान्ह के रखतऽ हल ।

23 ऍह पइ उ आपुस मँ एक दुसरे स सवाल करइ लागेन, "ओहमाँ स उ कउन होइ सकत ह जउन अइसा करइ जात अहइ?
आपस में बइठ के राय-विचार कयल गेल कि का करे चाही ।

57. फिन इलीसिबा क बचवा पइदा करइ क समइ आइ अउर ओकरे एक बेटवा पइदा भवा।
इलीसिबा गरभवती होलई आऊ बच्चा जन्म देलई

अउर मइँ सच्चाई स बोलत हउँ।
हे भगमान, ई बात सच हइ !

इ सब लोचा का है मोहतरमा, हम कुछ गायब का हुए का बवाल हुई गवा
हम तो बरबाद, बरबाद, बिलकुल बरबाद हो गेलूँ !

अरे मार्ग मा सु अलगो जाव,
रस्ता होवो ना होवो,

का उ तोहका अउर जिआदा बढ़िया ओढ़ना न पहिराई?
तुझे भुला दिया हो नैना लगियाँ बरिशां (औ औ औ औ)

जहा ज़िक्र हो मा का मंगल हो,जन्नत का नज़ारा हो जाए,
देखो कहीं बरबाद न होवे ये बगीचा,

ताहियो ओहदे घर अज होई रुशनाई ऐ,
हुआँ एक्के ठो घर हइ ।

&nbspअब इ जरुरी अहइ कि ओकर महिमा बढ़इ अउर मोर कम होइ।
इहे गुनी लगि गेल, मइयां के घुमरी॥

अउर एक पत्नी क आपन पति का डेरात भए आदर करइ चाही।
जे मेहरारू एकसरे हली से अप्पन पइसा अपने देलकी हल ।

उ सबइ लोग पुछत हीं, "का इहइ उ नगरी अहइ जेका लोग कहा करत रहेन,
ओकरा पास बड़गर सेना हकइ, आउ ऊ कहऽ हइ कि शहर नयँ देत ।

9 का उ आपन हुकुम पूरा करइ प का उ सेवक क बिसेस धन्यबाद देत ह नाहीं।
आउ ई बात के ताना देल जाय, कि ओकरा पर अपने उपकार कइलथिन हँ ?

38 तोहका हम कब नगिचे स जात भवा अजनबी लखा अउर भितरे लइ गएन, या बेवस्तर के लखिके तोहका ओढ़ना पहिरावा?
अरे करेजा हम तोहरे गउवा में केतनो मुँहवा बान्ह के आई ना

अउर ओका तू पी लिहा।
पीअऽ लेल देलकै।

नाहीं नाहीं सद्गुरुनाथा ॥
देखो कहीं बरबाद न होवे, ये बगीचा,

ए॒ष वां॑ द्यावापृथिवी उ॒पस्थे॒ मा क्षु॑ध॒न्मा तृ॑षत् ।
मंदिल के उपरे बरफ जम रहल हे आउ भितरे जइसे धरती के अगिन समेटा के इनकर देह में पइस गेल हे ।

बवाल होई गवा है ससुर,
हल्का हल्का सुरूर है साक़ी

इ सहर बहोत सोरगुल स भरा अउर बहोत खुस रहा।
नगर दशानन के बहुत लुभैलकै॥

9. ऍतना कहे क पाछे ओनकइ लखत लखत ओका सरगे मँ ऊपर उठाइ लीन्ह गवा अउर फिन एक बादर ओका आँखी स ओझल कइ दिहेस।
ई बात बोलते, ऊ सीधे ओकरा तरफ एकटक देखना जारी रखलकइ, आउ अचानक फेर से असीम क्रोध ओकर आँख में चमके लगलइ ।

सब प्रबुद्धजन मिलिकै स्वाचौ, जो होइ रहा उचित का भाय।
सभे भाई लोगन के प्रणाम,

जे जारै तौ होइ भसम तन, रहित किरम उहिं खाई।
(अर्थात् जे कुछ जेल में मिल्लऽ हको खाय लगी, ओहे खाके संतोष करऽ।

चन्द्रमा का है माथे उजाला,
और शूद्र के होवे चरनन में,

का खाई का पीहीं,
पीकर के विष हलाहल,

&nbspकाहेकि पर्भू हमका अइसि ही आग्या दिहे अहइः 'मइँ जोति बनाएउँ तोहका, ओनकइ बरे जउऩ नाहीं यहूदी, ताकि संसार के सब लोगन का उद्धार करइँ।
- "ई बात हइ - तोर मालिक हमरा एगो चिट देलका हल आउ अपन दुन्या के पास ले जाय लगी हुकुम देलका हल ।

मइँ नाही जानत रहेउँ कि मइँ का करत हउँ?
हमरा तो खुद्दे नयँ मालुम, कि कीऽ होब करऽ हइ ।

अउर सागर स बिसाल अहइँ।
अउर समगरी अंन की; लै जा ता के पासि ॥

30. अब इ जरुरी अहइ कि ओकर महिमा बढ़इ अउर मोर कम होइ।
इहे गुनी लगि गेल, मइयां के घुमरी॥

तेरे दर ते अलख जगाई होई ऐ,
हयी तेरा ही सहारा तेरा ही हई आसरा

9 ऍतना कहे क पाछे ओनकइ लखत लखत ओका सरगे मँ ऊपर उठाइ लीन्ह गवा अउर फिन एक बादर ओका आँखी स ओझल कइ दिहेस।
ई बात बोलते, ऊ सीधे ओकरा तरफ एकटक देखना जारी रखलकइ, आउ अचानक फेर से असीम क्रोध ओकर आँख में चमके लगलइ ।